RANCHI : झारखंड के राजभवन का नाम बदलने को लेकर बड़ा राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रस्ताव सामने आया है। विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने रांची स्थित राजभवन का नाम बदलकर ‘बिरसा भवन’ रखने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव राज्य के महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के सम्मान में लाया गया है।
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मंत्री ने सदन में कहा कि झारखंड की पहचान उसके आदिवासी समाज, उनके संघर्ष और बलिदान से जुड़ी है। ऐसे में राज्य के सबसे प्रतिष्ठित संवैधानिक भवन को बिरसा मुंडा जैसे महानायक के नाम पर करना ऐतिहासिक कदम होगा।
दुमका राजभवन को ‘सिदो–कान्हू भवन’ बनाने का भी सुझाव
प्रस्ताव के तहत केवल रांची ही नहीं, बल्कि दुमका स्थित राजभवन का नाम बदलकर ‘सिदो–कान्हू भवन’ रखने की बात भी कही गई है। सिदो और कान्हू मुर्मू ने संताल हूल विद्रोह के जरिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ ऐतिहासिक संघर्ष किया था। सरकार का मानना है कि यह पहल झारखंड के आदिवासी इतिहास और गौरव को नई पहचान देगी।
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औपनिवेशिक पहचान से बाहर निकलने की कोशिश
मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि देश आजादी के बाद भी कई जगहों पर औपनिवेशिक प्रतीकों के नाम ढो रहा है। राजभवन जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों का नामकरण स्थानीय नायकों के नाम पर होना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपने नायकों को जान सकें और उनसे प्रेरणा ले सकें।
अभी प्रस्ताव के स्तर पर है फैसला
फिलहाल यह प्रस्ताव विधानसभा में रखा गया है। इस पर कानूनी प्रक्रिया, प्रशासनिक स्वीकृति और राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा। अगर यह प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो रांची का राजभवन आधिकारिक रूप से ‘बिरसा भवन’ और दुमका का राजभवन ‘सिदो–कान्हू भवन’ के नाम से जाना जाएगा।
राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तेज हुई चर्चा
राजभवन के नाम परिवर्तन को लेकर राज्य की राजनीति और सामाजिक संगठनों में चर्चा तेज हो गई है। कई आदिवासी संगठनों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है और इसे झारखंड की सांस्कृतिक अस्मिता को मजबूत करने वाला कदम बताया है।
