L19/Ranchi : ईडी के भेजे गये समन के खिलाफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जहां उन्होंने समन को चुनौती दी है। यह मुख्यमंत्री सोरेन को भेजा गया दूसरा समन था। अब हेमंत सोरेन के इस फैसले के बाद ईडी क्या करेगी? ईडी को कौन कौन से अधिकार प्राप्त हैं? और क्या अब ईडी की ओर से मुख्यमंत्री को तीसरा समन भेजा जायेगा?
क्या है प्रावधान?
कानून के जानकारों की मानें तो प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट- 2002 (पीएमएलए) की धारा 11 के तहत किसी भी व्यक्ति को उपस्थित पर बाध्य करने, खोजबीन करने, निरीक्षण करने, अभिलेख प्रस्तुत करने आदि के लिए ईडी को सिविल कोर्ट को कोड ऑफ सिविल प्रोसेज्योर-1908 (सीपीसी) जैसी ही शक्तियां प्राप्त हैं। यानी ईडी को समन जारी करने की शक्ति प्राप्त है। वहीं, पीएमएलए की धारा 11(2) के मुताबिक, अगर ईडी की ओर से किसी व्यक्ति को समन भेजा जाता है, तो उसे ईडी अधिकारी के समक्ष हाजिर होना पड़ेगा। इसकी उपधारा-3 यह कहती है कि ये सारी प्रक्रिया न्यायिक प्रक्रिया होगी।
मगर पीएमएलए में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि समन कितनी बार भेजा जायेगा। इसमें यह भी नहीं बताया गया है कि कितनी बार समन भेजने के बाद अपेक्षित व्यक्ति के हाजिर नहीं होने पर उसे गिरफ्तार किया जायेगा। हालांकि, पीएमएलए ईडी के अधिकारी को उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान करता है, जिसके बारे में उसके पास यह विश्वास करने का पर्याप्त कारण है कि वह व्यक्ति इस कानून के तहत दंडनीय अपराध किये जाने का दोषी है।
इस प्रावधान का उल्लेख धारा 19 में है। हालांकि, यह धारा यह भी स्पष्ट करती है कि गिरफ्तार करने वाले अधिकारी को अपने ऐसे विश्वास के कारण को लिखित में रिकॉर्ड करना होगा। साथ ही, जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा रहा है, उसे यह अनिवार्य रूप से बताना होगा कि उसे किस आधार पर गिरफ्तार किया जा रहा है। अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले में अगर ईडी के पास उक्त धारा-19 के तहत ठोस सबूतों के अधार पर यह विश्वास करने का कारण है कि हेमंत सोरेन दोषी हैं, तब ही वह उन्हें गिरफ्तार कर सकती है, अन्यथा नहीं। इसके अलावा गिरफ्तारी के लिए एक शर्त यह भी है कि ईडी के डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर या उनके द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति ने गिरफ्तार करने का आदेश दिया हो।
नियम यह भी कहते हैं कि अगर ईडी को विश्वास (जिसका कारण लिखित में रिकॉर्ड किया जायेगा) है कि कोई व्यक्ति जानबूझकर ईडी के सामने हाजिर होने से मना कर रहा है, या कोई तथ्य छिपा रहा है या सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है, तो ऐसे हालात में ईडी उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है। वहीं, अगर वह व्यक्ति गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो जाये, तो ऐसी स्थिति में धारा 60 के तहत उसकी संपत्ति कुर्क करने का भी प्रावधान है
मगर, यहां यह याद रखना जरूरी है कि कानून ने ईडी को समन की किसी अधिकतम संख्या में बांधकर नहीं रखा है। इसलिए ईडी हेमंत सोरेन को हाजिर होने के लिए जितनी बार चाहे, उतनी बार समन भेज सकती है। लेकिन, यहां यह भी ध्यान में रखने की जरूरत है कि हेमंत सोरेन अब ईडी के समन भेजे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुके हैं। वैसे सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक ईडी की कार्रवाई पर कोई स्टे नहीं लगाया है। जब तक सुप्रीम कोर्ट से कोई स्टे ऑर्डर नहीं आ जाता है, ईडी इस मामले में अपनी कार्रवाई जारी रख सकती है। यानी, वह हेमंत सोरेन को तीसरी बार या उससे अधिक बार भी समन भेज सकती है, या पीएमएलए के तहत मिली शक्तियों और शर्तों के अनुपालन के आधार पर गिरफ्तारी, कुर्की-जब्ती आदि कार्रवाई करने की भी प्रक्रिया अपना सकती है।