L19 DESK : पूजा महतो, बेबी महतो, निशा भगत, दयवंती मुंडा और तमाम जेएलकेएम की महिला शेरनियों को हम खोज रहे हैं लेकिन कोई मिल नहीं रहा है. बड़ी मशक्त के बाद पार्टी की एक नेत्री पूजा महतो, 26 जनवरी की तैयारियों के लिए पार्क में झाड़ू लगाती हुई दिखी. मतलब पार्क की गंदगी खत्म कर रही थी लेकिन गंदगी उनको भी वहीं दिखाई देती है जहां वो देखना चाहती हैं. अब देखिए ना अपने बयानों और जवाब से बड़े-बड़े नेताओं और अधिकारियों को पानी पिला देने वाली पूजा महतो, रजनी के साथ हुए दुर्व्यवहार पर चुप हैं. आखिर ये दोहरी नीति क्यों? क्या महिलाओं के खिलाफ हो रहे अन्याय पर आवाज उठाने के लिए भी अब यह देखना होगा कि आरोपी कौन है, तब तय किया जाएगा कि आवाज उठाना है या नहीं. अगर, ऐसा ही है तो अन्य और आप में फर्क क्या है, जिसकी आप बात हमेशा करती हैं?
बहरहाल, चलिए, हम यह भी मान लेते हैं कि रजनी रवानी द्वारा लगाए गए सभी आरोप सत्य ना भी हो या हम यह भी मान लेते हैं कि पूरी की पूरी आरोप ही गलत हो लेकिन फिर भी सच्चाई तो सामने आना चाहिए. सच्चा कौन, झूठा कौन? चरित्रवान कौन चरित्रहीन कौन? वो पता चलना चाहिए. चरित्रवान और चरित्रहीन का जिक्र हमने इसलिए किया क्योंकि हमने इससे संबंधित जितने भी वीडियो किए उसमें महिला के चरित्र पर कमेंट सबसे ज्यादा पार्टी समर्थकों द्वारा किए गए. इसके अलावा, इस मामले की जल्द से जल्द और सही जांच कराने के लिए कितने जेएलकेएम के नेताओं ने पुलिस-प्रशासन को आवेदन दिया, कितने नेताओं ने मीडिया पर अपनी बात रखी. और अब तक पार्टी की ओर से आरोपी बनाए गए किसी भी नेता पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई.
जेएलकेएम की वो तमाम महिला नेता, जो विधायक-सांसद नहीं बल्कि झारखंड को बदलने के लिए राजनीति में आई थी. और आना भी चाहिए. लेकिन जेएलकेएम की शेरनियों जो आज रजनी के साथ हो रहे अन्याय पर चुप हैं और दोहरी नीति अपना रही हैं. ऐसे में बस सोचिए कि कल अगर कहीं आपके साथ भी इस तरह का दुर्व्यवहार होता है तो फिर आपके साथ कौन खड़ा रहेगा.
बहरहाल, अब हम आपको जेएलकेएम नेताओं पर आरोप कितना संगीन है वो बताते हैं. सबसे पहले हम आपको बता दें कि रजनी रवानी ने किसके-किसके खिलाफ FIR दर्ज कराया है. रजनी ने सुशील मंडल, फरजान खान, महफूज आलम, सद्दाम हुसैन और एक अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. इनके ऊपर BNS यानी भारतीय न्याय संहिता की धारा 75(2), जो यौन उत्पीड़न से जुड़े आरोप पर लगाया जाता है, दूसरा BNS की धारा 77, जो महिलाओं की गोपनीयता का उल्लंघन करने से मामलों पर लगाया जाता है. इस धारा के तहत, किसी महिला की सहमति के बिना उसके निजी काम को देखना, उसकी तस्वीर लेना, या उसकी तस्वीरें साझा करने जैसे अपराध आते हैं. तीसरा BNS की धारा 78(2) जो महिलाओं का पीछा करने और उन्हें परेशान करने से जुड़ी है चौथा BNS की धारा 79, जो किसी महिला की लज्जा भंग करने या उसका अपमान करने से जुड़े अपराधों से निपटती है, इसके अलावा BNS की धारा 352, जो किसी व्यक्ति को जान-बूझकर अपमान करने और उकसाने के मामले में लगाई जाती है, धारा 351(3), जो मृत्यु या गंभीर क्षति पहुंचाने की धमकी देना आपराधिक धमकी जैसे मामलों पर लगाया जाता है, वहीं, BNS की धारा 3(5), अगर कोई आपराधिक घटना कई लोगों ने मिलकर की है, तो हर व्यक्ति उस अपराध के लिए उसी तरह ज़िम्मेदार होगा, जैसे कि उसने अकेले वह अपराध किया हो, इसके अलावा भी सूचना प्रौधोगिकी की धारा 66(E), इसके तहत वैसे व्यक्ति पर केस किया जाता जो किसी की गोपनीयता का उल्लंघन करती है. इस धारा के तहत, अगर कोई व्यक्ति किसी की निजी तस्वीर को उसकी सहमति के बिना लेता है, प्रकाशित करता है, या प्रसारित करता है, धारा 67 इलेक्ट्रॉनिक रूप से अश्लील सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए दंड से जुड़ी है और धारा 37(A) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है.
आप सोचिए हमने ऊपर जितने भी धाराओं का जिक्र वो सभी काफी संगीन हैं, ऐसे में यह सच्चाई सामने लाना बेहद जरूरी है कि आखिर कौन सच्चा है और कौन झूठा. और इसके लिए, जेएलकेएम, पुलिस-पदाधिकारी, सभी को मिलकर जल्द से जल्द इसका खुलासा करना चाहिए. अपराधी जो भी हो उसे सजा मिलनी चाहिए, लेकिन जेएलकेएम नेताओं की चुपी इस मामले के लिए कितना खतरनाक साबित होगा.