L19/DESK : लोकसभा के चुनाव की तारीखों का एलान बहुत जल्द होने होने वाला है, इधर राजनीतिक दलों से लेकर आम आदमी तक सभी को निर्वाचन आयोग की इस घोषणा का इंतजार है. हालाँकि 2019 में 10 मार्च को चुनाव की अधिसूचना जारी हुई थी 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में मतदान हुआ था 23 मई को नतीजे आए थे इस बार भी लोकतंत्र का यह महापर्व कई मायनों में अहम होने वाला है 5 वर्षों में देश की परिस्थिति और परिप्रेक्ष्य, राजनीतिक समीकरण और सोच, मुद्दे, मतदाताओं की रुचि और रुझान में बहुत कुछ बदलाव आया है इन बदलाव को लेकर चुनावी समीकरण भी बदलेंगे और तस्वीर भी बदलेगी.
इधर चुनाव को लेकर झारखण्ड की राजनीति भी गर्म हो गई है एक ओर जहाँ भाजपा मोदी मैजिक के साथ फिर से एक बार 14 में से अधिकतम सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए जोर अजमाइश करने का प्रयास करेगा वहीँ महागठबंधन से JMM और कांग्रेस भी मोदी मैजिक को कैसे रोका जाएँ इस पर पूरा ध्यान लगायें हुए हैं. इसी कड़ी में संथाल परगना के सबसे हॉट सीट दुमका लोकसभा पर सबकी नजर है, जहाँ से 2019 में भाजपा के सुनील सोरेन सांसद बने हैं,जिन्होंने इस छत्रे से 7 बार सांसद रहे शिबू सोरेन को हराया था.
झारखण्ड की 14 लोकसभा सीटों में से 8 सीट जेनरल जबकि 5 आदिवासियों और एक दलित समुदाय के लिए रिजर्व हैं उन्ही रिजर्व सीटों में से एक सीट है दुमका. जी हाँ संथाल परगना का सबसे हॉट सीट जहाँ से जीतने वाले नेता या पार्टी का स्टेट के पोलिटिक्स में अहम् रोल रहता है, दुमका लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 6 जिलों में से दुमका पाकुड़,गोड्डा और साहेबगंज से तीन तीन विधानसभा छत्रे जबकि जामताड़ा से 2 और देवघर से 4 विधानसभा को मिलाकर कुल 18 विधानसभा छेत्र आते है जो राज्य के कुल 81 सीटों वाले विधानसभा में सरकार बनाने में अहम् भूमिका निभाते हैं. लोकसभा चुनाव की आहट अब तेज हो चली है। संताल परगना में भी चुनावी डुगडुगी बजने लगा है।
इस बार संताल परगना के तीनों सीट दुमका गोड्डा और राजमहल पर राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस की निगाह पैनी है तो क्षेत्रीय पार्टी झामुमो की जमीनी ताकत यहां की लड़ाई को त्रिकोण बना रहा है। राष्ट्रीय दलों के इस कवायद के बीच झामुमो की निगाहें भी पैनी है। झारखण्ड अलग होने के बाद से यानी 2000 ई से लेकर अबतक इस सीट पर दिसोम गुरु शिबू सोरेन 2004 से लेकर 2014 तक लगातार 3 बार सांसद रहे वही 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा से सुनील सोरेन इस सीट पर जीत दर्ज किये हैं. हर बार की तरह इस बार भी दुमका संसदीय क्षेत्र में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी जहाँ पर सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और झारखंड मोर्चा के बीच ही होने वाला है. इस संसदीय सीट को जहां बीजेपी सीट बचाने के लिए पुरजोर ताकत लगाएगी वही झारखंड मुक्ति मोर्चा फिर से वापसी के लिए संघर्ष करेगा, हालांकि मोदी मैजिक के जरिए भाजपा नैया पार लगाने की कोशिश करेगा तो वहीँ झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद सहानुभूति के तौर पर अपने विभिन्न मुद्दों को लेकर इस सीट से चुनाव दंगल में बिंगुल फूंकेगा।
इधर पिछला चुनाव को देखे तो 2019 में 8 बार दुमका से सांसद रह चुके शिबू सोरेन को भाजपा के सुनील सोरेन ने हराया था जो जेएमएम छोड़कर भाजपा में गए थे। झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में गए सुनील सोरेन ने 14 साल पहले 2005 में भी शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन को चुनावी महासंग्राम में पराजित किया था हालांकि 2009 व 2014 के चुनाव में वह शिबू सोरेन से मत खा गए थे लेकिन दोनों ही बार जीत का अंतर ज्यादा बड़ा नहीं था. 2014 में त्रिकोणीय मुकाबला होने से मोदी लहर के बावजूद शिबू अपने घर को बचाने में कामयाब रहे थे तब jvm उम्मीदवार बाबूलाल मरांडी भी चुनावी दंगल में थे।
अगर हम मतदाताओं की बात करें तो पिछले 5 साल में दुमका लोकसभा क्षेत्र में वोटरों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है यह इजाफा अगर प्रतिशत में देखे तो लगभग 12% है. एक लाख 67 हजार मतदाता 2019 की तुलना में 22 जनवरी 2024 तक इस संसदीय क्षेत्र में बढ़ चुके हैं, इनमें महिलाएं की संख्या ज्यादा है महिला वोटरों की संख्या 5 साल में 14.54% बड़ी है जबकि पुरुष वोटरों की संख्या में 9.5 9 प्रतिशत इजाफा हुआ है। दुमका संसदीय क्षेत्र में 2014 की तुलना में 2019 के चुनाव में वोटिंग का प्रतिशत भले ही 2.05% बढ़ गया था पर यह बात चिंताजनक है कि दुमका विधानसभा क्षेत्र के वोटर ही लोकसभा चुनाव में सबसे कम वोट डालने निकले थे.
2014 के चुनाव में भी सभी 6 विधानसभा क्षेत्र में से दुमका विधानसभा क्षेत्र का वोटिंग प्रतिशत सबसे कम था दुमका लोकसभा क्षेत्र में कुल वोटिंग का प्रतिशत 71.38 रहा तो दुमका विधानसभा क्षेत्र के 66.6% ही वाटर वोट करने निकल पाए थे. हालाँकि इलेक्शन कमीशन को इस बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है,क्यूंकि 2009 की अपेच्षा इस बार वोटर भी बढे हैं और जागरूक भी ज्यादा हुए हैं.