L19 Desk : बाबूलाल मरांडी हेमंत सोरेन सरकार को चेतावनी देते हैं, कहते हैं कि “वादे के अनुसार, महीने की 11 तारीख को मईयां योजना की राशि बहनों के खाते में पहुंच जानी थी, लेकिन अभी तक तो जनवरी महीने की राशि भी खाते में नहीं आयी। वादे के अनुसार, जेपीएससी के अध्यक्ष पद पर भी नियुक्ति होनी थी, जो कि लटकी पड़ी है, एग्जाम कैलेंडर वाली घोषणा जुमला साबित हुई, बुजुर्गों और विधवा महिलाओं का पेंशन लंबित है, हजारों गरीब आदिवासी परिवार राशन से वंचित हैं। हेमंत सोरेन जी, जनहित के मुद्दों को नज़रअंदाज़ करना जनता का अपमान है, लोगों का हक छीनन बंद करें, यदि आपकी सरकार ने तुरंत पहल नहीं की, तो भाजपा इसके विरुद्ध राज्यव्यापी आंदोलन करेगी।”
वैसे ये सवाल तो बिल्कुल वाजिब है कि अभी तक मईयां योजना की राशि नहीं आयी, जेपीएससी चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हुई, लेकिन जब बात नियुक्तियों की हो रही है, तब सवाल तो प्रदेश भाजपा पर भी उठता है, कि अभी तक पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष का ऐलान क्यों नहीं किया ? आख़िर नेता प्रतिपक्ष की घोषणा में इतनी देरी क्यों?
नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली होने से कई संवैधानिक पद रिक्त
विपक्षी दल का नेता न होने के कारण भी कई संवैधानिक नियुक्तियां लटकी पड़ी हैं, हमको तो RTI डालने के लिये भी सोंचना पड़ रहा है, क्योंकि हमको सूचना देने वाले मुख्य सूचना आयुक्त हैं ही नहीं, न ही सूचना आयुक्तों की नियुक्ति हुई है।
इनकी नियुक्ति इसलिये नहीं हुई है, क्योंकि राज्य में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली है। ये जिम्मेदारी राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भाजपा की है। क्या बाबूलाल मरांडी जी को ये दिखायी नहीं दे रहा ? पिछली बार भी नेता प्रतिपक्ष के पद को लटका कर रखा गया था। वर्तमान में तो बाबूलाल मरांडी खुद अपनी पार्टी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं, यानि इसके लिये वह खुद जवाबदेह हैं।
सुप्रीम कोर्ट भी दे चुका है आदेश
हाल के समय में सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रदेश भाजपा को अब तक नेता प्रतिपक्ष का चयन न करने के लिये फटकार लगायी थी, दो सप्ताह का समय दिया था। भाजपा ने भी कहा था कि खरमास खत्म होते ही वह विपक्ष का नेता चुन लेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
हालांकि, अब जाकर संभावना बन रही है कि फरवरी के अंत तक नेता प्रतिपक्ष का ऐलान पार्टी कर देगी।
इस दिन हो सकता है नेता प्रतिपक्ष का ऐलान
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, 22 फरवरी तक ये ऐलान हो सकता है। नेता प्रतिपक्ष के लिये बाबूलाल मरांडी का ही नाम सबसे ऊपर है, उसके बाद चंपई सोरेन, नीरा यादव और सीपी सिंह का भी नाम आगे चल रहा है।
हालांकि, नेता प्रतिपक्ष का फैसला पर्यवेक्षक के हाथों में होगी। दरअसल, नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के लिये पार्टी के केंद्रीय संगठन की ओर से जल्द ही पर्यवेक्षक की नियुक्ति की जायेगी। पर्यवेक्षक सभी विधायकों से वन टू वन बात करेंगे, फिर नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा करेंगे।
प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की लिये 10 मार्च की तारीख़ मुकर्रर
अगर बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की कमान मिलती है, तो भाजपा प्रदेश अध्य़क्ष की कुर्सी खाली हो जायेगी। ऐसे में संभावना बन रही है कि 10 मार्च तक प्रदेश अध्यक्ष की भी घोषणा हो जायेगी। ऐसा इसलिये क्योंकि भाजपा ने बूथ स्तर से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक के चुनाव मार्च के पहले सप्ताह में पूरा कर लेने का टारगेट सेट किया है। मंडल और जिलाध्यक्ष के चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। हालांकि, परंपरा के मुताबिक, इस पर अंतिम मुहर केंद्रीय नेतृत्व ही लगायेगा।