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l19/DESK : जब भी झारखंड की बात हो तो यहां के आदिवासियों की कला संस्कृति,रीति रिवाज,पर्ब -त्यौहारों की कल्पना किये बिना झारखंड अधूरी लगती है। कल-कल करती नदियां, गांव के अखाड़ों मे बजते माँदर की थाप,ढोल नगाड़े की मधुर आवाज, बाँसुरी की सुरीली धुन, यहां की पारंपरिक गीत संगीत में लयबद्ध होकर नाचते गाते लोगों की आकृति सहसा ही हमारे दिलों दिमाग में छा जाते हैं। जितनी खूबसूरत हमारा झारखंड है उतनी ही खूबसूरत यहां के जनजातियों के पर्ब त्यौहार भी हैं उन्ही में से एक खूबसूरत एवं महत्वपूर्ण त्यौहार है करम पर्ब। जी हाँ आदिवासियों की दूसरी सबसे बड़े त्यौहारों में से एक करम पर्ब प्रकृति से जुड़ा महापर्व है,जिसकी अलग अलग इलाकों में अलग अलग कहानियाँ प्रचलित हैं। अकसर करम की रात गांव की अखाड़ों में पहान बाबा द्वारा दो भाइयों की कहानी सुनाई जताई है। तो आइए आज करम महापर्व के अवसर पर करमा धरमा से जुड़े एक कहानी को जानते हैं।
वैसे तो आदिवासियों में करम पर्ब से जुड़ी कई सारी कहानियां प्रचलित है उनमें से एक कहानी करमा धरमा की है जो इस प्रकार है.. किसी गांव में करमा और धरमा नामक दो भाई रहा करते थे, दोनों भाई खूब मेहनती और दयावान थे। कुछ दिनों बाद करमा का विवाह हो गया। विवाह के कुछ महीनों तक सब कुछ बढ़िया चला लेकिन अचानक करमा की पत्नी का व्यवहार बदल गया। समय के साथ वह अधर्मी निकली और दूसरे को परेशान करने वाले विचारों से लद गई। अधर्मी होने के कारण करमा की पत्नी धरती मां के ऊपर ही चावल का गर्म पानी यानी माड़ गिरा दिया करती थी जिसे देख करमा को बहुत दुख हुआ। वह इतना दुखी हुआ कि नाराज होकर घर छोड़कर चला गया।
इधर करमा के जाते ही गांव घर में सभी के भाग्य टूट गए। दुख के दिन आ गए और वहां के लोग दुखी रहने लगे। गांव में लोगों को खाने पीने की समस्या होने लगी, कोई भी काम में उन्हे सफलता नही मिल रही थी। यह सब पीड़ा देखकर करमा का भाई धरमा को बहुत दुख लगा। वह मन ही मन सोचने लगा कि अब किसी भी हालत में भाई करमा को वापस गांव लाना होगा इसी निश्चय के साथ धरमा अपने भाई को खोजने निकल पड़ा।
कुछ दूर चलने के बाद धरमा को प्यास लगी,लेकिन आस-पास कुछ ना था, तभी अचानक दूर में एक नदी दिखाई दिया। धरमा पास जाकर देखा कि नदी में पानी नहीं था। धरमा बहुत दुखी हुआ तभी नदी से आवाज आई.. जब से करमा भाई यहां से गए हैं तब से हमारे (नदी) कर्म फूट गए हैं,यहां ना तो समय पर बारिश होती है और ना ही पानी रहता है यही कारण है मुझे में पानी सुख गया है। आगे नदी ने धरमा से आग्रह किया कि जल्द से जल्द करमा को खोजा जाएं नही तो पूरे इलाके में अकाल और विपत्ति आ जाएगी,नदी से वार्तालाप के बाद धरमा आगे बढ़ गया।
आगे बढ़ते हुए कुछ दूर जाने पर धरमा को एक आम का पेड़ मिला.. उसके सारे फल सड़ चुके थे। पेड़ ने भी धरमा से कहा कि जब से करमा गांव छोड़कर गए हैं तब से हमारा फल ऐसे ही बर्बाद हो जाता है। आम के पेड़ ने भी धरमा से कहा कि अगर किसी को करमा भाई मिले तो मुझे भी बताइएगा और इसका क्या निवारण होगा यह भी पूछ कर बताइएगा.. आम पेड़ से बातचीत के बाद धरमा वहां से आगे बढ़ा। आगे बढ़ने पर उसे एक बूढ़ा व्यक्ति मिला उसने धरमा को बताया कि जब से करमा यहां से गया है उसके सिर से बोझ तब तक नहीं उतरते जब तक तीन-चार लोग उसे ना उतार दे। बूढ़े व्यक्ति ने भी करमा से इसका निवारण का उपाय जानने को कहा।
आगे बढ़ने पर धरमा को एक महिला मिली जो करमा से यह जानने के लिए बोली कि जब से करमा गए हैं तब से खाना बनने के बाद बर्तन हाथ से चिपक जाते हैं तो उसके लिए क्या उपाय करें? धरमा आगे चल पड़ा.. चलते-चलते रेगिस्तान में जा पहुंचा वहां उसने देखा कि करमा धूप और गर्मी से परेशान है, उसके शरीर पर फोड़े हो गए हैं वह व्याकुल हो रहा है। धरमा से करमा की यह हालत देखी नहीं गई और उसने करमा से आग्रह किया कि वह घर वापस चले। तो इसका जवाब करमा ने दिया कि मैं उस घर कैसे जाऊं जहां मेरी पत्नी जमीन पर माड़ फेंक देती है तब धरमा ने वचन दिया कि आज के बाद कोई भी महिला जमीन पर माड़ नहीं फेंकेगी फिर दोनों भाई घर की ओर वापस चल दिए।
लौटते हुए सबसे पहले वह महिला मिली तो उससे करमा ने कहा कि तुमने किसी भूखे को खाना नहीं खिलाया था इसलिए तुम्हारे साथ ऐसा हुआ, आगे से ऐसा कभी मत करना सब ठीक हो जाएगा। अंत में करमा नदी के पास पहुंचा और नदी से कहा कि तुमने कभी किसी को साफ पानी पीने के लिए नहीं दिया आगे से किसी को गंदा पानी मत पिलाना यदि तुम्हारे पास कोई आए तो उसे साफ पानी पिलाना। इस प्रकार उसने सभी को काम बताते हुए घर पहुंचा और गांव के एक पोखर में करम डाल लगाकर पूजा अर्चना किए। करम डाल की पूजा करते ही पूरे इलाके में फिर से खुशहाली लौट आई और सभी आनंद में रहने लगे।
तब से करम पूजा में करम डाल की एक विशेष महत्व चलती आ रही है। गांव के अखाड़ों में करम डाल को गाँड़कर पूजा पाठ किया जाता है और रातभर अखाड़ा में लोग नाचते गाते खुशियां मनाते हैं। तो ये रही करम परब के अवसर पर करमा धरमा से जुड़ी एक कहानी। बाकी आपके इलाके में कौन सी कहानी चलती है आप हमें साझा कर सकते हैं। आज के लिए इतना ही फिर मिलते है कोई ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारियों के साथ।
जोहार