L19 DESK : बीते 1 अगस्त से लेकर आगामी 7 अगस्त तक इस पूरे हफ्ते को विश्व स्तनपान सप्ताह के रुप में मनाया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस सप्ताह की पहल स्तनपान के फायदे और उसके प्रति जागरुकता के लिये की है। ये खास तौर पर उन महिलाओं के लिये है जिनके बच्चे छोटे हैं, और 6 महीने तक के हैं।
इसे भारत के भी अलग अलग राज्यों में मनाया जा रहा है। वहीं, अपने राज्य झारखंड की बात करें तो स्तनपान की दर में काफी सुधार हुआ है, हालांकि अब भी यह राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। यह खास तौर से 3 साल तक की उम्र के बच्चों के मामले में हैं। देश के आंकड़ों के अनुसार, 3 साल तक की उम्र के 41.8% बच्चे 6 महीने तक स्तनपान करते हैं,जबकि झारखंज में यह मात्र 21.5% है।
झारखंड में स्तनपान को लेकर जागरुकता बढ़ने का प्रमाण राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey – NFHS-5) की ताजा जारी आंकड़े देते हैं। इसके आंकड़ो के अनुसार, साल 2019-21 के दौरान झारखंड में स्तनपान करने वाले 6 माह की आयु तक के शिशु की संख्या 76% हो गयी है। वहीं, साल 2015-16 में यह आंकड़ा 65% फीसदी था। यानी, 5 सालों के दौरान इसमें 11% का सुधार हुआ है।
इतना ही नहीं, झारखंड में अब लगभग 76% महिलाएं स्वास्थ्य केंद्रों में प्रशिक्षित दाई की निगरानी में बच्चों को जन्म दे रहीं हैं। साल 2015-16 में यह दर 62% थी। हालांकि, 4 महिलाओं में 3 का प्रसव स्वास्थ्य सुविधाओं में हो रहा है, लेकिन 5 में से केवल 1 शिशु ने ही जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान किया। विशेषज्ञों की मानें तो लगभग 6 महीने की आयु तक शिशु के लिए जरूरी ऊर्जा और पोषक तत्व मां के दूध से मिल जाते हैं।
आपको बता दें, बच्चों जो कुछ भी बाहर का खाते पीते हैं, उसकी तुलना में मां का दूध कहीं ज्यादा पौष्टिक होता है। इसलिए शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान जरूर करवाना चाहिये। इससे मां और शिशु दोनों को फायदा होता है। बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में दो दशक से भी ज्यादा समय तक काम कर चुकीं बाल रक्षा भारत (सेव द चिल्ड्रेन) की पूर्वी और दक्षिणी राज्यों के लिए स्वास्थ्य एवं पोषण पोर्टफोलियो की प्रबंधक देबाश्मिता भौमिक कहतीं हैं कि यह बच्चे के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सबसे प्रभावी तरीकों में एक है।
वह कहती हैं, स्तनपान नवजात शिशुओं के लिए एक आदर्श आहार है। यह सुरक्षित, स्वच्छ होता है। मां के दूध में कई खूबियां होती हैं, जो बच्चों को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। यह बच्चों को कई सामान्य बीमारियों से बचाता है। स्तनपान शिशु को पहले कुछ महीनों के लिए उनकी सभी ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है, और पहले साल की दूसरी छमाही में मां के दूध से शिशु के पोषण के लिए जरूरी एक-तिहाई तक पोषक तत्व प्रदान करता है।