एक बार फिर आदिवासी कल्याण और अल्पसंख्यक मामलों के विभागीय सचिव के श्रीनिवासन विवादों के घेरे में आ गये हैं। यह मामला कल्याण विभाग की तरफ से संचालित आवासीय विद्यालय, एकलव्य विद्यालय और आश्रम विद्यालय के संचालन से संबंधित है। एक वर्ष में एकलव्य और आश्रम विद्यालयों के संचालन में 14 करोड़ से अधिक खर्च होते हैं। सूत्रों का कहना है कि स्वंयसेवी संस्थानों द्वारा संचालित 30 आवासीय विद्यालय के एकरारनामे के अवधि विस्तार और उन्हें राशि का भुगतान किये जाने को लेकर बावेला मचा हुआ है। कैबिनेट की बैठक के इतर जारी संकल्प में उलटफेर कर विभागीय सचिव ने सारी शक्तियां आदिवासी कल्याण आयुक्त की बजाय अपने हाथों में कर ली है।
कैबिनेट ने 27 मार्च को जो फैसला किया था, उसे बदल दिया गया है
आवासीय स्कूलों के साथ करारनामे, अवधि विस्तार और राशि भुगतान को लेकर कैबिनेट ने 27 मार्च को जो फैसला किया था, उसे बदल दिया गया है। 14 अप्रैल को जारी संकल्प में जो वाक्य जोड़े गए हैं, उससे इन आवासीय स्कूलों को राशि भुगतान में कल्याण सचिव को शक्ति मिल गई है। पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने एकलव्य विद्यालय और आश्रम विद्यालयों के संचालन संबंधी संचिका मंगायी है। पूर्व में आदिवासी कल्याण आयुक्त के पास यह शक्ति थी और कैबिनेट ने भी इस पर ही अपनी सहमति दी थी। जारी संकल्प के अनुसार, गैर सरकारी संस्थाओं को राशि भुगतान के पूर्व झारखंड आश्रम और एकलव्य विद्यालय एजुकेशन सोसाइटी की प्रबंधन समिति की बैठक कर निर्णय लिया जाएगा। उक्त निर्णय के आलोक में संबंधित संस्थाओं को राशि का भुगतान किया जाएगा।
जारी संकल्प के हिसाब से एकलव्य विद्यालय और आश्रम विद्यालय के कल्याण सचिव, प्रमुख हो जाएंगे
जानकारी के अनुसार कल्याण सचिव ही एकलव्य विद्यालय और आश्रम विद्यालय संचालन समिति के अध्यक्ष होते हैं। ऐसे में जारी संकल्प के हिसाब से कल्याण सचिव प्रमुख हो जाएंगे। इस अनियमितता की सूचना मिलने पर मुख्य सचिव ने संबंधित फाइल मंगाई है। वे इस मामले की जांच भी करा रहे हैं। संबंधित गैर सरकारी संस्थाओं को राशि भुगतान के पूर्व झारखंड आश्रम और एकलव्य विद्यालय एजुकेशन सोसाइटी की प्रबंधन समिति की बैठक आहूत कर निर्णय लिया जाएगा। बैठक में लिए गए निर्णय के आलोक में संबंधित संस्थाओं को राशि का भुगतान किया जाएगा।