RANCHI : मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची के मोरहाबादी में आयोजित कार्यक्रम में कई वर्षों से लंबित JSSC-CGL में चयनित हुए 1927 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र सौंपा. JSSC-CGL की इस परीक्षा को लेकर हेमंत सोरेन ने अपने सोशल मीडिया के पेज पर परीक्षा में हुए कथित धांधली पर तंज कसते हुए लिखा कि “बताइए, कोर्ट कचहरी के नाम पर QR कोड से चंदा इकट्ठा कर रहे थे ये लोग. नौजवान, गरीब-गुरबों से चंदा लिया गया. पता चला कि करोड़ों रुपए का चन्दा लिया इन लोगों ने.”
आगे उन्होंने कहा कि, परीक्षा होती है झारखंड में और पेपर लीक की अफवाह उठती है नेपाल से. गजब है! गजब है!
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बाबूलाल मरांडी उवाच
इस पर विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने अपने सोशल मीडिया के पेज पर लिखा है कि बताइए! जो आदमी झारखंड को लूट कर अपने वकीलों की फीस भर रहा हो, वह व्यक्ति उन गरीब छात्रों का मजाक बना रहा है जो चंदा करके अपने इंसाफ के लिए लड़ रहे हैं. आगे उन्होंने कहा कि ये गरीब छात्र आपकी तरह चांदी का चम्मच लेकर नहीं पैदा हुए, इसलिए वे चंदा और QR कोड का सहारा ले रहे हैं. इसके आगे बाबूलाल सवालिया लहज़े में लिखते हैं कि यदि आपको नेपाल वाली बात अफवाह लग रही है तो बताइए,
- क्या हाईकोर्ट ने JSSC-CGL मामले में क्लीन चिट दे दिया है?
- जब गड़बड़ी हुई ही नहीं तो अभी भी 10 छात्रों का रिजल्ट लंबित क्यों रखा गया है?
- अदालत ने अभी भी जांच जारी रखने का आदेश क्यों दिया है?
क्या था JSSC-CGL का मामला
दरअसल यह परीक्षा 2016 से चल रही थी. पहले रघुवर दास सरकार की नीति उसके बाद हेमंत सोरेन सरकार की नीति के कारण यह परीक्षा बार-बार बाधित हुई. 2024 में पेपर लीक की पुष्टि के बाद सरकार ने इसकी जांच के लिए SIT का गठन किया. इसमें कुछ लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई. हाल ही में झारखंड हाई कोर्ट ने झारखण्ड सरकार को रिजल्ट जारी करने की अनुमति दी लेकिन यह भी कहा कि यह SIT की अंतिम जांच रिपोर्ट के परिणाम के अधीन होगा.
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