L19/BOKARO : सरना धर्म कोड को मान्यता देने तथा बिभिन्न मांगों को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को भारत बंद के तहत तुपकाडीह चौक में खड़े होकर जैनामोड फुसरो मेनरोड को लगभग 3 घंटे के लिए जाम कर दिया। जिला अध्यक्ष सुखदेव मुर्मू ने कहा कि सरना धर्म कोड को लेकर केंद्र व राज्य सरकार चुप्पी साधे हुए है। संथाली भाषा को झारखण्ड का प्रथम राजभाषा देने पारसनाथ पहाड़ से जैनियों के मंदिरों को हटाने और मारांग बुरु की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा। रोड जाम के कारण राहगीरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। जाम में अभियान के जोनल संयोजक जयराम सोरेन प्रदेश संयोजक करमचंद हांसदा भीम मुर्मू पूर्व जिप सदस्य गुलाबी देवी कमल संतोष डोमन राखो किस्कु कालीचरण किस्कु सावित्री सुशील गुलांची सीता समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।
बता दे कि सालखन मुर्मू ने कहा था कि झारखंड और बृहद झारखंड के आदिवासियों का दुर्भाग्य है कि पूर्व सीएम शिबू सोरेन, सीएम हेमंत सोरेन और उनके सहयोगियों ने अब तक 5 मुद्दों पर आदिवासी समाज के साथ धोखा किया है। आदिवासी सेंगेल अभियान ने सवाल उठाया था कि 2011 की जनगणना में प्रकृति पूजक आदिवासियों ने लगभग 50 लाख की संख्या में सरना धर्म लिखाया और जैन धर्म ने 44 लाख लिखवाया। तब भी सरना धर्म कोड को अब तक मान्यता क्यों नहीं ? संताली भाषा एकमात्र राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त बड़ी आदिवासी भाषा है, जबकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, विरोधी दल के नेता बाबूलाल मरांडी सभी संताली हैं और लगभग 100 लाख संताली भाषा-भाषी होने के बावजूद झारखंड की प्रथम राजभाषा क्यों नहीं ? आदिवासियों के ईश्वर मरांग बुरू अर्थात पारसनाथ पहाड़, गिरिडीह, झारखंड को क्यों हेमंत सोरेन ने 5.1.23 को पत्र लिखकर जैनों को सुपुर्द कर दिया है ? मरांग बुरु की वापसी जरूरी है।
सम-अंडमान की चाय बागानों में लगभग 50 लाख असली झारखंडी आदिवासी संताल, मुंडा, हो, खड़िया, भूमिज, उरांव, पहाड़िया आदि को अब तक एसटी का दर्जा क्यों नहीं मिला है? जबकि कुर्मी महतो को वोट के लालच के लिए जेएमएम, टीएमसी, कांग्रेस और बीजू जनता दल एसटी बनाकर क्यों असली आदिवासियों बर्बादी चाहती हैं?आदिवासी स्वशासन व्यवस्था या ट्राइबल सेल्फ रूल सिस्टम में क्यों संवैधानिक और जनतांत्रिक मूल्यों का समावेश और सुधार नहीं हो रहा है? परंपरा के नाम पर वंशानुगत माझी परगाना, मानकी मुंडा आदि की नियुक्ति राजतांत्रिक और असंवैधानिक है।