L19 DESK : भारत विविधताओं का देश है। यहां कई संस्कृतियां, भाषायें हैं, मगर अनेकता में भी एकता ही हमारे देश की पहचान है। इसी एकता को बरकरार रखने के लिये देशभर में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1953 से लेकर आज तक हिंदी दिवस मनाये जाने के साथ साथ इस भाषा का महत्व बताया जाता है। हिंदी केंद्र और राज्य की आधिकारिक भाषा है। 14 सितंबर 1949 में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल किये जाने का फैसला लिया गया। क्योंकि सभी भाषाओं में हिंदी वह भाषा है जो भारत में सबसे ज्यादा बोली जाती है। अगर विश्व भर में सबसे ज्यादा बोली जानी वाली भाषा की बात करें तो अंग्रेजी और मंदारिन (चीनी भाषा) के बाद हिंदी का स्थान दुनियाभर में तीसरे नंबर पर है। ऑल इंडिया रेडियो समाचार के अनुसार, 2019 में भारत में 615 मिलियन हिंदी भाषी लोग थे। इसीलिए कहा जाता है कि हिंदी उन भाषाओं में से एक है, जो भारत को एकजुट करती है।
हिंदी दिवस का इतिहास
14 सितंबर 1949 को लंबी चर्चा के बाद देवनागरी लिपि में हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने खुद 14 सितंबर की इस तारीख का चयन किया था। इस दिन को मनाने की खास वजह यह भी है कि यह तारीख एक मशहूर हिंदी के कवि राजेंद्र सिंह की जयंती से भी जुड़ी है। पहली बार हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत 1953 में हुई। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के सुझाव पर इस दिन को मनाया गया। इस दिन को खास बनाने और हिंदी के महत्व को बढ़ाने के लिहाज से हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत की गई। हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने कई विद्वानों ने अहम भूमिका निभाई है।
हिंदी दिवस की भूमिका
पूरी दुनिया की बात करें तो करीब 425 मिलियन लोग हिंदी अपनी पहली भाषा के तौर पर बोलते हैं और लगभग 120 मिलियन लोग ऐसे हैं जो दूसरी भाषा के रूप में हिंदी बोलते हैं। हिंदी भारत में बोली जाने वाली प्रमुख और आधिकारिक भाषा है, अंग्रेजी दूसरी आधिकारिक भाषा है। भारत में कई क्षेत्रीय भाषाएं हैं, जैसे बंगाली, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, गुजराती, मराठी, पंजाबी, लेकिन अधिकतर लोग ऐसे हैं जो बोलचाल में हिंदी का इस्तेमाल करते हैं। अगर हिंदी भाषी राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़, राजस्थान हैं। अगर भारत को छोड़कर विदेश की बात करें तो मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो और नेपाल में भी हिंदी बोली जाती है।
क्यों घट रहा हिंदी बोली का चलन?
बोलने वालों की संख्या के अनुसार अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद हिन्दी भाषा पूरे दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी भाषा है। लेकिन उसे अच्छी तरह से समझने, पढ़ने और लिखने वालों में यह संख्या बहुत ही कम है। यह और भी कम होती जा रही। इसके साथ ही हिन्दी भाषा पर अंग्रेजी के शब्दों का भी बहुत अधिक प्रभाव हुआ है और कई शब्द प्रचलन से हट गए और अंग्रेजी के शब्द ने उसकी जगह ले ली है। जिससे भविष्य में भाषा के विलुप्त होने की भी संभावना अधिक बढ़ गयी है।