L19/Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा ने जेलों को लेकर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि जेलों पर बोझ बढ़ रहा है। आरोपी की संख्या जेलों के भीतर बढ़ती जा रही है, जिसे घटाने की जरूरत है। जेल में वैसे भी लोग हैं, जिन्हें दोषी करार नहीं दिया गया है। वहीं, पहले से दोषी करार कैदी भी वहां सज़ा काट रहे हैं। इन दोनों ही तरह के कैदियों को एक ही तरह की परिस्तिथि में साथ रखा जाता है। ये गौर करने वाली बात है।
ये तमाम बातें उन्होंने रविवार को ज्यूडिशियल अकादमी, झारखंड व पूर्वी सिंहभूम जजशिप द्वारा आयोजित रिमांड एंड बेल न्याय शास्त्र पर क्षेत्रीय सम्मेलन के मौके पर कहीं। वह मुख्य अतिथि के तौर पर इस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। लोयोला स्कूल में आयोजित इस सम्मेलन में जस्टिस संजय कुमार मिश्रा ने कहा कि यह तभी संभव है, जब गंभीर मामलों से इतर अन्य मामलों में न्यायिक हिरासत जाने से पहले विवेचना कर ली जाए। न्यायिक पदाधिकारियों का जेल निरीक्षण जरूरी है, ताकि वहां की परिस्थितियों को जान सकें। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि अदालतों को रिमांड से पहले केस की परिस्थिति और तत्काल सबूतों पर गौर करते हुए विवेक से फैसला करना होगा। न्याय सुलभ और सहज होना चाहिए।
इस कार्यक्रम के दौरान पॉक्सो एक्ट 2012 एवं एनडीपीएस केस के निवारण में आने वाले दुविधाओं को दूर करने को लेकर भी चर्चा हुई, ताकि पीड़िता को जल्द ही न्याय मिल सके। वहीं, कार्यक्रम के वक्त जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने कहा कि किसे रिमांड कर सकते हैं, किसे नहीं,इस पर निर्णय का अधिकार भी है, इसलिए न्यायपालिका को तत्काल निर्णय लेना होगा। सम्मेलन में हाईकोर्ट के जज जस्टिस रत्नाकर भेंगरा, जस्टिस दीपक रौशन, जस्टिस अम्बुज नाथ आदि मौजूद थे।