L19 DESK : झारखंड के छत्तीसगढ़ी उत्पाद नीति की खासियत यह रही कि मई 2022 से लेकर 30 मार्च 2023 तक जम कर नकली शराब बिकी और शराब के रीटेल आउटलेटों में सेल्समैन स्तर के कर्मियों ने ब्रांडेड शराब में पानी मिला कर उसे बेचा एवं मुनाफा कमाया। कहने को राज्य के उत्पाद भवन मुख्यालय में शराब के वाहनों में ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम लगायी गयी है, ताकि दुकानों तक होनेवाली डीलिवरी पर नजर रखी जा सके। राज्य में काम कर रही प्लेसमेंट एजेंसी के बार बार कहने पर भी शराब के रीटेल आउटलेटों में सीसीटीवी नहीं लगाया गया। अब वित्तीय वर्ष 2022-23 की समाप्ति को लेकर मात्र एक दिन ही बचा है। उत्पाद विभाग के अधिकारी इस बात को लेकर मगन हैं।
कि सरकार द्वारा निर्धारित राजस्व वसूली का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। सरकार ने 2310 करोड़ के राजस्व के लक्ष्य को 2050 करोड़ कर दिया था। इस टार्गेट को उत्पाद विभाग के अनुसार हासिल कर लिया गया है। सरकार के आला अधिकारी से लेकर अब मंत्री नयी उत्पाद नीति के तहत रिकार्ड वसूली करने का ढिंढोरा पीटेंगे। ऐसा होने भी लगा है। मिलावटी शराब और नकली शराब को लेकर झारखंड शराब व्यापारी संघ की तरफ से कई बार सरकार पर वार किया गया, पर हुआ वही ढाक के तीन पात।
उत्पाद विभाग का दावा है कि नकली शराब बेचनेवालों पर कुल 55 एफआइआर हुए और 79 गिरफ्तारियां हुई। पर सरायकेला-खरसांवां से लेकर राजधानी रांची में नकली और ओवर रेटिंग शराब की बिक्री पर दर्ज हुए एफआइआर पर अमल क्यों नहीं किया गया। सरायकेला खरसांवां के उत्पाद विभाग के दारोगा ने ए2जेड के प्रतिनिधि समेत रांची के शराब माफिया अमित तलेजा पर एफआइआर किया था। इस पर अमल नहीं किया गया। सूत्रों का कहना है कि राजस्व वसूली में बढ़ोत्तरी के लिए अमित तलेजा को हायर किया गया था और ए2जेड कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में इन्हें उत्पाद विभाग में इंट्रोड्यूस किया गया था।
राज्य गठन के बाद ऐसा पहली बार है। जब शराब में पानी मिलाकर बेचने के मामले सामने आए हैं। शराब में पानी मिलाने का एक वीडियो विभागीय अधिकारियों तक पहुंचा तो इस मामले का खुलासा हुआ। नौ एफआईआर तो विभाग की ओर से ही दर्ज कराई गई है। एक उत्पाद दारोगा भी अपने भाई के साथ इस धंधे में संलिप्त मिला। उसे निलंबित करते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई है। राजधानी रांची में भी ऐसे सात मामले पकड़े गए हैं। विभाग का दावा है कि शराब में पानी मिलाने वाले चिह्नित किए जा चुके हैं। अब और तेजी से कार्रवाई होगी। अधिकारियों का कहना है कि सेल्समैन ही शराब में पानी मिलाकर बेच रहे हैं।
शराब के रीटेल आउटलेट में शराब के फूल बाटल यानी 180 और 350 एमएल की बाटलों में सबसे अधिक पानी भरा गया। क्योंकि इसका ढक्कन खोलना आसान है। । बोतल को गर्म पानी में डालने से ढक्कन आसानी से खुल जाता है। इसमें पानी मिलाने के बाद मशीन से फिर पैक कर दिया जाता है। निकाले गए शराब से छोटे बोतल तैयार किए जा रहे हैं। जिन ब्रांडों में मिलावट की शिकायत मिली है, उनमें आरएस, 8 पीएम, एसी ब्लैक, इंपीरियल ब्लू, ब्लैंडर्स प्राइड और 100 पाइपर्स शामिल हैं। शराब में पानी मिलाने की शिकायत के बाद उत्पाद मुख्यालय ने तीन अफसरों की टीम बनाई।
इसका नेतृत्व उत्पाद विभाग के डिप्टी कमिश्नर स्तर के अफसर कर रहे हैं। इसमें दो असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर स्तर के अधिकारी शामिल हैं। टीम की जांच रिपोर्ट पर उत्पाद दारोगा को निलंबित किया गया।
पिछले दिनों शराब में मिनरल वाटर मिलाने का एक वीडियो वायरल हुआ था। यह मिलावट दुकान की गोदाम में हो रही थी। जांच कराई गई तो यह वीडियो हजारीबाग के जिला परिषद चौक के एक दुकान का निकला। यहां अनिल कुमार मिलावट करता था, जो हजारीबाग के उत्पाद दारोगा अखिलेश कुमार का भाई है। दारोगा की भी संलिप्तता मिली। जांच टीम की अनुशंसा के बाद उत्पाद आयुक्त ने दारोगा को निलंबित कर दिया और सभी आरोपियों पर एफआईआर दर्ज हुई। इसके अलावा खूंटी में प्लेसमेंट एजेंसी के कर्मी द्वारा किराये पर लिये गये मकान में मिलावट करने का वीडियो भी वायरल हुआ था। रांची में भी ऐसे वीडियो वायरल हुए थे।