Akshay Kumar Jha
Ranchi : पिछले दिनों एक अखबार के पहले पन्ने पर कांग्रेस की अंदरूनी बैठक की बात छाप दी गयी. कहा गया कि यह खबर एक ऑडियो पर आधारित है, जो कि वायरल है. लेकिन आप बता दें कि यह ऑडियो वायरल नहीं बल्कि प्लाटेंड है. वो भी तब प्लांट किया गया जब प्लांट करने वाले को लगा कि विपक्ष इस मामले को सदन में नहीं उठाएगा. सदन का सत्र खत्म होने वाला था. प्लांट करने वाले का धैर्य जवाब देने लगा, तो उन्होंने ऑडियो को मीडिया हाउस को दे दिया. मीडिया हाउस ने खबर को वायरल ऑडियो का हवाला दिया. लेकिन, सवाल यह है कि अगर यह ऑडियो वायरल है, तो किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह ऑडियो उपलब्ध क्यों नहीं है. सोशल मीडिया से अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले के पास भी यह ऑडियो नहीं है. क्योंकि यह ऑडियो उसके पास है, जिसने इसे रिकॉर्ड किया था, या फिर नेता प्रतिपक्ष और उस मीडिया हाउस के पास जिसने इसे छापा था.
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क्या हुआ था उस बैठक में, और किसने रिकॉर्ड की सारी बात
उस बैठक में ऐसा नहीं था कि कांग्रेस विधायक सिर्फ इरफान अंसारी की ही शिकायत कर रहे थे. हर विधायक अपनी-अपनी बात प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष के सामने रख रहे थे. लेकिन रिकॉर्डिंग सिर्फ इरफान अंसारी के मामले की हुई. दरअसल ममता देवी प्रदेश प्रभारी के राजू से कह रही थी कि इरफान अंसारी के विभाग के उनकी बात नहीं सुनी गयी. एक अधिकारी के ट्रांस्फर की पैरवी के बाद भी काम नहीं हुआ. बाद में पैसे देकर उसका तबादला कर दिया गया. इसी बहस को एक वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया. रिकॉर्ड करने वाले ने पहले तो सीधा विपक्ष से संपर्क कर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल तक इसे पहुंचाने की कोशिश की. लेकिन जब सत्र खत्म होने को आया को उनका धैर्य जबाव देने लगा, तो उन्होंने मीडिया हाउस तक यह ऑडियो पहुंचा दिया.
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अब बात यह कि ऑडियो रिकॉर्ड किसने किया? तो जवाब है कि वो इरफान के पड़ोसी विधायक हैं और जिनकी इरफान से नहीं बनती है. खुलेआम जो इरफान से भिड़ जाते हैं, उन्होंने ही इसे रिकॉर्ड किया और पूरा परपंच रचा.
