L19 DESK : प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यानी 9 अप्रैल को मैसूर में एक मेगा इन्वेंट के उद्घाटन कर पूरे देश भर में बाघों पर पीटीआर की घोषणा की। इसके तहत् भारत में कुल बाघों की संख्या 3167 हैं जो संतोष जनक है। झारखंड के एकमात्र टाइगर प्रोजेक्ट पलामू टाइगर में भी इस बार बाघों की संख्या का खुलासा हुआ है।
पीटीआर के अनुसार, पलामू टाइगर रिजर्व में इस बार तीन बाघों होने की संभावना जताई गई है, हालांकि अभी आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नही हुई है। ग्रेडिंग में पलामू टाइगर रिजर्व को very good दर्जा दिया गया, इससे पलामू टाइगर रिजर्व का खोया हुआ गौरव फिर से वापस लौट आया है।
2018 के रिपोर्ट में बाघों की संख्या शन्य
झारखंड में 2018 में बाघों की संख्या शून्य बताई गई थी, इससे पीटीआर प्रबंधन और स्थानीय लोगों को काफ़ी निशारा हुआ था, परंतु इस बार पीटीआर में बाघ होने के खुलासा हो जाने से वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी एवम् स्थानीय लोगों में हर्ष का माहौल है। पीटीआर के पदाधिकारियों ने इसे ग्रामीण और वन विभाग के कर्मचारियों के आपसी तालमेल से संभव हो सका है। पीटीआर में बाघों के होने की संभावना के साथ वन विभाग आगे के लिए कमर कस ली है साथ ही खोया हुआ गौरव फिर से वापस लौटने पर सुखद अनुभव भी कर रहे हैं।
कभी टाइगर रिजर्व में बाघों का राज हुआ करता था
झारखंड के बीहड़ जंगलों से घिरे पलामू प्रमंडल में कभी बाघों का राज हुआ करता था। बाघों की संख्या इतनी अधिक थी कि लोग जंगलों से वापस नही लौटते थे साथ ही लोगों के मवेशियों को हर दिन बाघ अपने शिकार बनाते थे। लोग भय के साय में रहते थे कब किधर से कोई बाघ आकार किस पर हमला कर दे किसी को पता नहीं चलता था।
1932 में जब दुनिया में बाघों की गिनती हो रही थी तब पूरे एशिया में सबसे पहले बाघों का गिनती पलामू में ही किया गया था। इसके बाद 1973-74 में बाघों की सुरक्षा के लिए पलामू टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया तब भी बाघों की संख्या कम नही थी। समय के साथ इंसान और बाघों में द्वंद के कारण आज बाघ की संख्या विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई है। वर्तमान स्थिति ऐसी है कि बाघों को ढूंढने पर भी नहीं मिलते।
पलामू टाइगर रिजर्व में वर्ल्ड लाईफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के द्वारा दो बाघ की पुष्टि उसके मल के आधार पर की गई है। इसमें हाल ही में कुटकू क्षेत्र में दिखे बाघ व चुंगरू में हमले करने वाले बाघ को शामिल नहीं किया गया है। पलामू टाइगर रिजर्व मे 2018 में बाघों की संख्या शून्य बताएं जाने की बाद वन विभाग पूरी तरह से सतर्क होकर काम में लग गया था, मगर इस बार सही तरीके से गिनती और सबकी सहयोग से यह कार्य सफल हो पाया है।
1129 वर्ग किलोमीटर में फैले जंगल में चप्पे चप्पे पर गिनती के लिए विभाग ने पूरी ताकत झोंक दी थी। वन विभाग के कर्मचारियों ने सबसे ज्यादा स्केट (मल) खोजने पर विशेष वाले दिया था जिसका सुखद परिणाम में देखने को मिला।