L19 DESK : सीएम सोरेन ने कहा कि देश ने आजादी के 75 साल पूरे कर लिए हैं और हम अभी भी सामाजिक न्याय के बारे में चिंतित हैं। ऐसे समय में जिसे अमृत काल और विश्व गुरु (जैसे वाक्यांशों का उपयोग किया जा रहा है) कहा जा रहा है। हम सामाजिक न्याय की मांग कर रहे हैं। देश का लोकतंत्र खतरे में है।
देश में फूट डालो राज करो की स्थिति बन गई है जो चिंता का विषय है। आज देश में ‘मैं काम नहीं करूंगा, मैं तुम्हें काम नहीं करने दूंगा’ की राजनीति हो रही है। देश की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है। सोरेन ने कहा कि देश में किसान, मजदूर, शिक्षित युवा अपने अधिकारों से वंचित हैं, निश्चित रूप से यह देश को पीछे ले जाने का संकेत है। उन्होंने आरोप लगाया कि रेलवे और बैंक जैसी संस्थाओं को निजी हाथों में दिया जा रहा है।
राम कुमार सिन्हा वही शख्स हैं, जिनके कारनामों की काफी चर्चा है, जब वे राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में थे। इससे पहले राज्य में अंतिम बार लगे राष्ट्रपति शासन के कार्यकाल में राम कुमार सिन्हा मंत्रिमंडल समन्वय विभाग में थे। इसके बाद राज्य में रघुवर दास की सरकार बनी। रघुवर दास की सरकार में राम कुमार सिन्हा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में आ गये। इनकी ही मेहरबानी से 2019 के विधानसभा चुनाव के बीच में ही 70 अंचल निरीक्षकों को प्रोन्नति देकर अंचल अधिकारी बनाया गया। इसमें भी कई गड़बड़ियां सामने आयी। पर रामकुमार सिन्हा साफगोई से बाहर निकल गये। कहा कि हमने कुछ किया ही नहीं। सूत्र बताते हैं कि 70 अंचल निरीक्षकों की प्रोन्नति मामले में 20 करोड़ रुपये का वारा-न्यारा हुआ था और विधानसभा चुनाव के तीसरे से चौथे चरण के दौरान पोस्टिंग संबंधी अधिसूचना जारी की गयी।
पोस्टिंग में चेहरे देख-देख कर मनचाही जगहों पर प्रोन्नति के साथ पदस्थापना की गयी। इसमें राम कुमार सिन्हा का मुख्य रोल था।राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के बाद राम कुमार सिन्हा हेमंत सोरेन सरकार के कार्यकाल में अब ग्राम्य अभियंत्रण संगठन में हैं। इडी वीरेंद्र राम को हिरासत में लेकर जो छानबीन कर रही है। उसमें मुख्य अभियंता कार्यालय से ठेकेदारों को मनमाने तरीके से कार्य आवंटित करने का मामला भी है। लोकतंत्र 19 के पास उपलब्ध दस्तावेज में कई कंपनियों को अधिक दर पर कार्य आवंटित करने का मामला है। इसमें मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम संबंधित संवेदक को रांची बुलाकर कार्य आवंटित करते थे। इसमें आंतरिक वित्तीय सलाहकार के रूप में राम कुमार सिन्हा का नाम और हस्ताक्षर उद्धृत है। इतना ही नहीं निविदा समिति के अध्यक्ष के रूप में मुख्य अभियंता ने ऐसे कारनामे किये हैं, जो हैरतअंगेज करनेवाला है। एक ही कार्य को लेकर छह से सात कंपनियों ने आवेदन दिये। आवेदन देनेवाली आठ कंपनियों में से सात ने एक ही रेट कोट किया और सभी को एल-1 बना दिया गया। इसके बाद यह दलील दी गयी कि जिसने सरकारी काम अधिक किया है।
उसे कार्य आवंटित किया जायेगा। यानी रेट नेगोशिएशन के जरिये फिर मनचाही कंपनी को काम दिया गया।ग्रामीण कार्य विभाग का मुख्य अभियंता का कार्यालय रांची समाहरणालय के विपरीत इंजीनियरिंग भवन में है। यहीं से संवेदकों के साथ मुख्य अभियंता खुद डील करते थे और उसमें विभागीय मंत्री, आंतरिक वित्तीय सलाहकार के रूप में राम कुमार सिन्हा की भी मौन सहमति रहती थी। यानी पैसे का बंटवारा 1.50 से दो फीसदी की दर से किया जाता था। पांच-पांच करोड़ की निविदा पांच प्रतिशत अधिक दर पर दी जाती थी। इसके अलावा निविदा की शर्तों में कांट्रैक्टरों का भी 10 फीसदी का मुनाफा शामिल हुआ करता है। बारिकियों पर नजर डालें तो एक सुनियोजित तरीके से आरइओ के तीन हजार करोड़ रुपये का काम सिंडिकेट निबटाता था। दो प्रतिशत का कमीशन माना जाये तो 60 करोड़ रुपये तो बिना मेहनत के ही सिंडिकेट तक पहुंच जाता था। यह खेल दिसंबर 2019 से लगातार जारी है।
रिपोर्ट : दीपक कुमार