L19 DESK : सुप्रीम कोर्ट 2002 के गोधरा कांड में हुए बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को फैसला होगा। गुजरात सरकार ने पिछले साल 10 अगस्त को दोषियों को छूट दी थी, जिसके बाद वे 15 अगस्त, 2022 को सभी दोषियों की रिहाई की गई थी ।
फैसले के लिए नई बेंच का गठन
22 मार्च को, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि वह इस मुद्दे में दलीलों की सुनवाई के लिए एक नई पीठ का गठन किया गया । बिलकिस बानो की तरफ से पेश अधिवक्ता शोभा गुप्ता द्वारा मामले को जल्द पंजिकृत करके याचिका का उल्लेख करने के बाद उन्होंने कहा, मैं एक बेंच का गठन करूंगा। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने सोमवार को मामले पर फैसला करेगा ।
दोषियों की रिहाई पर दायर हुई थी याचिका
इससे पहले भी अधिवक्ता गुप्ता ने तत्काल सुनवाई के लिए मामले का उल्लेख किया और कहा कि सीजेआई द्वारा एक नई बेंच गठित करने की जरूरत है क्योंकि न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। दोषियों की समय से पहले रिहाई के खिलाफ याचिका दायर करने के अलावा, बानो ने अपने पहले के निर्देश की समीक्षा के लिए एक समीक्षा याचिका भी दायर की थी, जिसमें उसने गुजरात सरकार से दोषियों में से एक की छूट के लिए याचिका पर सोचने को कहा था ।
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन ने दायर की थी याचिका
कुछ जनहित याचिकाएं दायर कर 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। ये याचिकाएं नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन ने दायर की हैं, जिसकी महासचिव एनी राजा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की सदस्य सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा।
अफ़ीडेविट् जारी किया था
गुजरात सरकार ने अपने शपथपत्र में दोषियों को मिली छूट का बचाव करते हुए कहा था कि उन्होंने जेल में 14 साल की सजा पूरी कर ली है और उनका व्यवहार अच्छा पाया । राज्य सरकार ने कहा कि उसने 1992 की नीति के मुताबिक सभी 11 दोषियों के मामलों पर विचार किया है और 10 अगस्त, 2022 को छूट दी गई थी। केंद्र सरकार ने भी दोषियों की समय से पहले रिहाई को मंजूरी कर दी थी ।
दोषियों की हुई थी आजीवन कारावास की सजा
गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को 15 अगस्त को रिहा कर दिया, जिन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। इस मामले में सभी 11 दोषियों को आजीवन कारावास के दोषियों को 2008 में उनकी सजा के समय गुजरात में प्रचलित छूट नीति के मुताबिक रिहा कर दिया गया था।
पांच माह की गर्भवती थी बिलकिस बानो
मार्च 2002 में गोधरा कांड के बाद, बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उसकी तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के 14 सदस्यों के साथ मरने के लिए छोड़ दिया गया था। वडोदरा में जब दंगाइयों ने उनके परिवार पर हमला किया तब वह पांच महीने की गर्भवती थीं।