L19 DESK : समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तीसरे दिन भी सुनवाई जारी रही। बुधवार को केंद्र की ओर से प्रस्तुत हलफनामे को लेकर याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने गुरुवार को अप्रासंगिक करार दिया। रोहतगी ने LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों के बचाव पर तर्क देते हुए कहा कि समलैंगिक जोड़ों के मिलन पर राज्य की मान्यता इसके कलंक को कम कर सकती है।
सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को समलैंगिक विवाह पर टिप्पणी देते हुए कहा कि ऐसे संबंध केवल शारीरिक नहीं होते, बल्कि स्थिर और भावनात्मक भी होते हैं।
बता दें, केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को समलैंगिक विवाह पर दूसरे दिन की सुनवाई के दौरान कोर्ट में हलफनामा पेश किया गया था। इसमें सभी राज्यों से ऐसे विवाहों को लेकर राय पेश करने की मांग की गयी थी।