• अदालत ने कहा राजस्व कर्मचारी की रिपोर्ट पर ही होता है म्यूटेशन, सीबीआइ आरोप तय करे
L19 DESK : झारखंड के तथाकथित अंचल अधिकारी शशि भूषण सिंह ने संजीवनी बिल्डकोन जमीन घोटाले को अंजाम देने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ के खिलाफ ही हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। इसमें शशिभूषण सिंह ने अपने को निर्दोष साबित करने की मांग अदालत से की थी। आरोपी शशिभूषण सिंह पर जगरनाथपुर थाने में दर्ज मुकदमा 169 ऑफ 2012 के तहत लगाये गये आरोपों को सही पाया गया था।
इसमें संजीवनी बिल्डकोन के अनामिका नंदी, अजय दयाल नंदी, सीओ रहे केके राजहंस, जमीन मालिक घंसू महतो और अन्य को षडयंत्र कर भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) के सहकारी समिति की जमीन की दोहरी जमाबंदी कायम करने के आरोपों को सही पाया गया था। इसी मामले को सीबीआइ ने टेक ओवर कर पांच से अधिक प्राथमिकी सीबीआइ की विशेष अदालत में दर्ज किया था। जस्टिस गौतम चौधरी की अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सीबीआइ ने राज्य सरकार के अनुरोध पर एक जून 2012 को संजीवनी बिल्डकोन प्राइवेट लिमिटेड का जांच अपने हाथों में लिया है।
इसमें चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। इसके बाद भी सीबीआइ की जांच प्रक्रिया को बाधित करने के उद्देश्य से झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा आरोपियों ने खटखटाया है, जिसमें संबंधित बेंच ने इनके खिलाफ आरोप तय करने की बातें कही है। शशि भूषण सिंह जो रातू अंचल के तत्कालीन हल्का कर्मचारी थे, उन पर डेवलपर के साथ मिल कर सेल कोआपरेटिव सोसाइटी की जमीन को गलत तरीके से दाखिल-खारिज करने का गंभीर आरोप है।
सेल एक सार्वजनिक लोक उपक्रम है, जिसकी जमीन की अवैध जमाबंदी करना भी गंभीर मामला है। इस संबंध में तत्कालीन उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी रांची ने 24 नवंबर 2015 को विभागीय कार्रवाही (राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग) से शुरू करने का अनुरोध भी किया था। याचिकाकर्ता के रूप में संजीवनी बिल्डकोन के मुख्य सूत्रधार ने अदालत से विभागीय कार्रवाही जारी रहने तक छुटकारा देने की बातें कही थी। सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक ने याचिकाकर्ता के प्रेयर पर किसी तरह की रियायत नहीं देने की बातें कही थीं।
सीबीआइ के अभियोजक ने सीताराम चौबे बनाम अन्य सऔर जगजीत सिंह बनाम प्रमंडलीय आयुक्त पटियाला के केस का हवाला देते हुए किसी तरह की छूट नहीं देने की बहस के दौरान मांग की।
जस्टिस गौतम चौधरी की अदालत ने स्पष्ट कहा कि बिहार टेनेंट्स होल्डिंग्स (मेंटेनेंस ऑफ रिकार्डस) एक्ट 1973 के तहत राजस्व कर्मचारियों की भूमिका सेक्शन 13 में स्पष्ट की गयी है। इसमें कहा गया है कि किसी भी तरह की जमाबंदी में सुधार करने के लिए मुखिया, अंचल निरीक्षक और राजस्व कर्मचारियों की रिपोर्ट ही मान्य होती है।
अंचल निरीक्षक राजस्व कर्मचारियों से पार्टिशन, सक्सेशन तथा अन्य मामलों पर रिकार्ड मांगते हैं और उसे अंचल अधिकारी तक भेजा जाता है। इसमें दागी शशि भूषण सिंह ने संजीवनी बिल्डकोन प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटरों से यह बाद छिपायी कि सेल इंप्लाइज को-आपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के नाम से पहले से जमाबंदी चल रही है।
सेल इंपलाइज को-आपरेटिव हाइसिंग सोसाइटी लिमिटेड की जमीन की बंदोबस्ती होने की बात को छुपाते हुए 2006 से 2008 तक शशि भूषण सिंह ने संजीवनी बिल्डकोन को जमीन की नयी जमाबंदी खोलने का रिपोर्ट दिया। उसके आधार पर अंचल अधिकारी की मिलीभगत से गलत रिकार्ड के जरिये संजीवनी बिल्डकोन के नाम से जमाबंदी कायम की गयी। – जारी