L19/Ranchi : राजधानी रांची में स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में एमआरआई मशीन पुराना हो चुका है। 12 साल से एक ही एमआरआई मशीन का उपयोग हो रहा है। अब हालत ये हो गयी है कि पुरानी मशीन जांच के दौरान ही बार बार खराब हो जाती है। ऐसे में मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ती है। मिली जानकारी के अनुसार, हर रोज 30-35 मरीजों का ही एमआरआई हो पाता है। पुरानी मशीन से यह संभव नहीं हो पाता है। इसके वजह से मरीजों को जांच के लिये निजी क्लिनिकों में जाकर एमआरआई कराना पड़ता है।
बताया जा रहा है कि रिम्स में एमआरआई जांच की संख्या में पहले के मुकाबले इजाफा हुआ है। ऐसा इसलिये क्योंकि न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी, मेडिसिन, एवं हड्डी विभाग के चिकित्सक एमआरआई जांच की सलाह देते हैं। मगर जांच की संख्या में वृद्धि के कारण रेडियोलॉजी विभाग पर दबाव बन रहा है। ऐसा स्थिति को देखते हुए रिम्स में कम से कम 2 एमआरआई मशीन की जरुरत है।
मिली जानकारी के अनुसार, रिम्स के रेडियोलॉजी विभाग में सिंगल टेंडर के कारण एमआरआई मशीन की खरीदारी 3 साल से नहीं हो पा रही है। इसके लिये रिम्स ने 3 बार टेंडर भी जारी किया, मगर एक ही एजेंसी हर बार टेंडर में अपनी रुचि दिखाती है। ऐसे में रिम्स प्रबंधन टेंडर की शर्तों में कुछ छूट देने पर विचार कर रही है। रिम्स के पीआरओ डॉ राजीव रंजन के अनुसार, एमआरआई मशीन के लिये हर बार सिंगल टेंडर हो जा रहा है, इसलिये मशीन की खरीदारी लटकी रह जा रही है। अधिक से अधिक कंपनी टेडर में भाग ले, इस पर परचेज समिति विचार करेगी।