L19 DESK : JDU के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे आरसीपी सिंह ने गुरुवार को भजपा का दमान थाम लिया। उन्होंने दिल्ली स्थित बीजेपी कार्यालय में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी भी मौजूद थे। आरसीपी सिंह ने अगस्त 2022 में जेडीयू से इस्तीफा दे दिया था। तब से कयास लगाया जा रहा था कि वो भाजपा का दामन थाम सकते है। गुरुवार को इस बात पर मुहर लग गयी।
कुर्सी के मोह में सारा काम कर रहे हैं
बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद आरसीपी सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं। उन्हें जरा सोचना चाहिए कि देश कहां से कहां चला गया और बिहार कहां है। उन्हें ‘C’ शब्द से बड़ा प्यार है, सी से चेयर होता है। इसलिए कुर्सी के मोह में सारा काम कर रहे हैं। आगे कहा कि नीतीश कुमार को सब PM कहते हैं। मैंने भी उन्हें कहा कि आप PM थे, PM हैं और PM रहेंगे। पीएम मतलब पल्टीमार। उन्होंने कितनी बार विश्वासघात किया है।
जेडीयू में कुछ नहीं बचा अब डूबता हुआ जहाज है
आरसीपी सिंह ने अपने इस्तीफे की घोषणा के दौरान कहा था कि वह भाजपा में औपचारिक तौर पर शामिल होने समेत सभी विकल्प खुले रखे हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि जेडीयू में कुछ नहीं बचा है। वो अब डूबता हुआ जहाज है। हमसे चिढ़ है, तो हमसे निपटो, हमारे पास विकल्प खुले हुए हैं। कहा था कि मुझ पर अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया गया। यह उनकी छवि को बदनाम करने की कोशिश की गई थी। बता दें कि जदयू ने आरसीपी सिंह पर पार्टी में रहकर भाजपा के लिए काम करने का आरोप लगाया गया था।
जेडीयू से राज्यसभा पहुंचने का मौका नहीं मिला था
नीतीश कुमार के बाद जेडीयू में आरसीपी सिंह की दूसरे नंबर की हैसियत थी, लेकिन मोदी कैबिनेट का हिस्सा बनने के बाद उनके रिश्ते में दरार पैदा होने लगी थी। आरसीपी सिंह को तीसरी बार जेडीयू से राज्यसभा पहुंचने का मौका नहीं मिला था। जिससे उन्हें मोदी कैबिनेट छोड़ना पड़ा था। आरसीपी सिंह राज्यसभा नहीं भेजने से नाराज चल रहे थे। ऐसे में उन्होंने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया था।
इससे पूर्व अजय आलोक ने थामा था बीजेपी का दामन
बता दें कि 28 अप्रैल को जदयू के पूर्व प्रवक्ता डॉ. अजय आलोक ने भी बीजेपी का दामन थामा था। डॉ. अजय आलोक को दिल्ली में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बीजेपी की सदस्यता दिलायी थी। इससे भी सीएम नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा था। क्योंकि वे मुख्यमंत्री के करीबी माने जाते थे।