L19 DESK : एक बार फिर झारखंड की बच्ची राजस्थान में बेच दी गयी। यह सिलसिला कोई नया नहीं है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की मानें, तो प्रत्येक वर्ष कुल ट्रैफिकिंग में से 4.5 फीसदी ट्रैफिकिंग झारखंड से होती है। चान्हो के एक 18 साल की बच्ची का सौदा गांव के ही कुछ ट्रैफिकर ने 1.50 लाख में कर दिया। मां बाप ने इसकी शिकायत कोतवाली थाने के एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट में की है। पुलिस ने तीन तस्करों को दबोचा है, अब बच्ची को वापस लाने की तैयारी तेज है। रांची की टीम राजस्थान में बच्ची को वापस लाने की तैयारी कर रही है।
पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि मानव तस्करों का यह गिरोह काफी बड़ा है। लड़की को राजस्थान में बेचा है लेकिन राजस्थान के साथ- साथ हरियाणा में रहने वाले वैसे युवक जिनकी शादी नहीं हो पाई है, उन तक झारखंड की बेटियों को भेजा जाता था। इसके बदले उन्हें मोटी रकम मिलती थी। फिलहाल रांची पुलिस की एक टीम राजस्थान जाकर लड़की को रेस्क्यू करवाने के काम में जुटी हुई है। संभावना जताई जा रही है कि जल्द रांची पुलिस लड़की को वापस लेकर रांची पहुंचेगी।जनजातीय शोध संस्थान रांची के द्वारा कराये गये एक स्टडी में पाया गया कि झारखंड के सिमडेगा, चाईबासा, गुमला, लोहरदगा, पलामू, खूंटी से सबसे अधिक जनजातीय बच्चियां ट्रैफिकिंग का शिकार होती हैं।
इसमें से 26 फीसदी बच्चियां अशिक्षित रहती हैं। जबकि 26-26 प्रतिशत बच्चियां माध्यमिक तथा उच्च स्कूल तक पढ़ी होती हैं। बच्चियों की ट्रैफिकिंग महानगरों में काम दिलाने के नाम पर किया जाता है। इसके बाद उन्हें फ्लेश ट्रेड में धकेल दिया जाता है। कहने को राज्य सरकार ने पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक मानव तस्करों के खिलाफ शिकायत करने के लिए एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट बनायी है। फिर भी जिस तरह से झारखंड से किशोरियों, बच्चियों का मानव व्यापार हो रहा है, वह शर्मनाक है।