L19 Desk : एक तरफ झारखंड में जहां हर दूसरे दिन छोटे से बड़े स्तर के अधिकारी घूस लेते धराते हैं, आम जनों की तकलीफों, समस्याओं को सुनने की बजाय मौके का फायदा उठाते हैं, वहीं दूसरी तरफ झारखंड में एक अधिकारी ऐसे हैं, जो आमजनों तक अपनी सीधी पहुंच बना रहे हैं, उनके समस्याओं का समाधान कर रहे हैं, और लगातार नये नये प्रयासों से अधिकारी और जनता के बीच का फासला दूर कर रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं राजधानी रांची के डीसी मंजूनाथ भजंत्री की। मंजूनाथ भजंत्री की गिनती ईमानदार, और मेहनती अधिकारियों में होती है। रांची का डीसी नियुक्त हुए उन्हें ज्यादा समय नहीं हुए हैं, लेकिन उन्होंने बेहद कम समय में ही अपनी बेहतरीन कार्यशैली की मिसाल पेश की है। ताज़ा उदाहरण टॉक टू डीसी कार्यक्रम और शिशु गृह से जुड़ा है। राजधानी रांची में पहली बार टॉक टू डीसी कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसका शुभारंभ बीते कल 8 मार्च को हुआ।
टॉक टू डीसी कार्यक्रम की शुरुआत
इस दौरान डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये सभी प्रखंडों के ग्रामीणों से उनकी समस्यायें सुनीं। ज्यादातर ग्रामीणों की परेशानियां राशन, बिजली, पानी, सड़क, पेंशन से जुड़ी थी। उनकी परेशानियों को सुनने के बाद डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने त्वरित संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये।कार्यक्रम के दौरान कई पंचायतों के ग्रामीणों ने अबुआ आवास स्वीकृति में विलंब की जानकारी दी। डीसी ने ग्रामिणों से उनका सीरियल नंबर पूछा और बीडीओ सहित जिला स्तर से पोर्टल पर updates लिये। उन्होंने कहा कि चयनित लाभुकों को यथाशीघ्र योजना का लाभ सुनिश्चित करायें।
इसके साथ ही डीसी ने रांची जिले के सभी पंचायतों के लोगों से अपील करते हुए कहा कि अपने आसपास के लोगों को टॉक-टू-डीसी कार्यक्रम की जानकारी दें, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। ये पहली बार है जब जनता अपने समस्याओं की सीधे डीसी तक लेकर जा सकती है, और डीसी इन समस्याओं को फेस टू फेस सुनकर त्वरित कार्रवाई करेंगे।
समाहरणालय में शिशुगृह का शुभारंभ
इसके अलावा, कल महिला दिवस के मौके पर डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने समाहरणालय में काम करने वाली महिला कर्मचारियों के लिये एक नयी शुरुआत की। डीसी ने महिला कर्मियों के लिये कार्यालय में शिशुगृह का शुभारंभ किया। इस पहल ने महिलाओं को बहुत राहत दी है। दरअसल, महिला कर्मचारियों के सामने ड्यूटी और मातृत्व को बीच असमंजस की स्थिति खड़ी हो जाती है।
इसे दूर करने के लिये क्रेच यानि शिशुगृह की सुविधा शुरु की गयी है, ताकि वे ड्यूटी के दौरान अपने छोटे-छोटे बच्चों को सुरक्षित अपने आंखों के सामने उनकी देखभाल कर पायें, और समय-समय पर स्तनपान करा पायें। बच्चों को स्वस्थ आहार और आरामदायक माहौल मिलेगा। बता दें कि शिशुगृह में समाहरणालय की महिला कर्मचारी नवजात शिशुओं से लेकर 6 साल तक के बच्चों को रख सकती हैं, जहां उनके लिये खेलने के साधन भी उपलब्ध कराये गये हैं।
अंचलों में हो रहा ज़मीन म्यूटेशन से संबंधित समस्याओं का समाधान
इन सब के अलावा, रांची डीसी मंजूनाथ भजंत्री के निर्देश पर रांची जिले के अलग-अलग प्रखंडों और अंचलों में समय समय पर लैंड म्यूटेशन से संबंधित समस्याओं का भी निवारण किया जा रहा है। इस पहल के तहत ज़मीन माफियाओं और दलालों पर लगाम कसने की कोशिश की जा रही है, साथ ही रैयतों को उनका हक दिलाने का प्रयास भी किया जा रहा है।
हाल के दिनों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि राज्य में सीओ बीडीओ का ऑफिस दलालों का अड्डा बनता जा रहा है, ज़मीन के नाम पर रिश्वतखोरी चल रही है। सीएम के इस बयान को राजधानी रांची में गंभीरतापूर्ण लिया गया, और ज़मीन से संबंधित समस्याओं का निदान करने के लिये सीओ बीडीओ को काम पर लगा दिया गया है।
बहरहाल, रांची डीसी मंजूनाथ भजंत्री के टॉक टू डीसी कार्यक्रम की सराहना हर ओर हो रही है लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि इस कार्यक्रम के जरिए कितने ग्रामीणों, जरूरतमतों को सच में मदद पहुंच पाती है.