क्यों न कांग्रेस को संविधान विरोधी कहा जाए? क्या कांग्रेस अपने विचारधारा से भटक रही है? क्या कांग्रेस झारखंड में प्रेशर की राजनीति करना चाहती है? ऐसे सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस के जो नेता हाथ में संविधान लिए जिस विचारधारा की राजनीति करने की बात करते हैं उन्हीं का पार्टी संविधान के विरुद्ध और अपनी ही विचारधारा की हत्या करने में लगी हुई है।
इन दिनों झारखंड की राजनीति में कांग्रेस की राजनीति कुछ अलग लेबल की चल रही है। जब से विधानसभा चुनाव में 16 सीटों पर जीत दर्ज हुई है पार्टी का हौसला सातवें आसमान पर चढ़ा हुआ है। यही कारण है कि मंत्रिमंडल गठन से लेकर उनके मंत्रालय बांटने तक के सारे काम पार्टी के आला नेता कर रहे हैं। पार्टी में कौन सीनियर, कौन जूनियर, कौन वफादार, कुछ नहीं देखा जा रहा है।
दरअसल, पार्टी में जिसकी पहुंच है उसी की सुनी जा रही है। तभी तो राधा कृष्ण किशोर को पार्टी की ओर से मंत्री बनाया गया है, जिसपर हमेशा से अवसरवादी राजनीति करने का आरोप लगता रहा है। ये हमेशा पार्टी बदलते रहते हैं। झारखंड अलग होने के बाद भी राधा कृष्ण किशोर पार्टी बदलते रहे हैं 2005 में वे कांग्रेस छोड़कर JDU में शामिल हो गए थे, फिर 2009 में JDU छोड़कर कांग्रेस आ गए थे। वहीं, 2014 में मोदी लहर को देखते हैं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए और विधायक भी बन गए जहां उन्हें भाजपा का मुख्य सचेतक भी बनाया गया।
फ़िर 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद इन्होंने पार्टी छोड़कर आजसू में शामिल होना सही समझा और वहां वो चुनाव हार गए। कुछ दिन पार्टी में रहने के बाद राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए और वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में वापस आ गए और छतरपुर से चुनाव जीत कर मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त किया।
ऐसे में कांग्रेस नेताओं द्वारा बीजेपी पर जो आरोप लगाया जाता है कि बीजेपी बोरो खिलाड़ियों से फील्डिंग करती है उसका क्या? कांग्रेस भी तो कहीं ना कहीं बोरो खिलाड़ियों के सहारे राजनीतिक कर रही है। जिसका जीता जागता उदाहरण राधा कृष्ण किशोर हैं। ऐसे में क्यों ना कांग्रेस को अपने ही विचारधारा की हत्या करने वाली पार्टी कहा जाए।
यह तो बात पार्टी विचारधारा की है लेकिन अब पार्टी संविधान तोड़ने में भी लगी हुई है जी हां बीते दिनों हेमंत सरकार में मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह था, जिसमें कांग्रेस कोटे से चार विधायक मंत्री बनाए गए हैं। हालांकि शुक्रवार दोपहर तक इन मंत्रियों का विभाग कौन सा होगा इसका बंटवारा नहीं किया गया था, लेकिन कांग्रेस के आला नेताओं द्वारा संविधान का उल्लंघन करते हुए इन विधायकों को उनके विभाग बीती रात ही सौंप दिए गए। हालांकि पार्टी का कहना है राष्ट्रीय महासचिव द्वारा जारी विभाग बंटवारे वाला चिट्ठी लीक हो गया है उसके लिए पार्टी क्षमा प्रार्थी है।
इधर महासचिव का चिट्ठी सोशल मीडिया में वायरल होते ही राजनीतिक माहौल गरमा गया है। लोग दबे जुबान ही सही कांग्रेस पर आरोप लग रहे हैं कि देश की इतनी बड़ी और पुरानी पार्टी कैसे संविधान का उल्लंघन करती है? कहीं इस लेटर के माध्यम से पार्टी प्रेशर की राजनीति तो नहीं करना चाह रही है।
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस को मंत्री बंटवारे का नियम नहीं पता है? लेकिन फिर भी समय से पहले विभाग कैसे बांट दिए गए? कहीं हेमंत सोरेन को विभाग देने में प्रेशर तो नहीं डाला गया? ऐसे तमाम सवाल राजनीतिक गलियारों में उठना लाजिमी है।
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें संविधान का आर्टिकल 164 में किस मंत्री को कौन सा पोर्टफोलिया के तहत विभाग मिलेगा इसका विशेषाधिकार राज्य के मुख्यमंत्री के विवेक पर निर्भर करता है।
ऐसे में इस पत्र का लीक होना कहीं ना कहीं कांग्रेस की संविधान प्रेम के प्रति सवाल खड़े करते हैं। अब जब नए सिरे से मंत्रियों को विभाग बांट दिया गया है तो देखना होगा इस पर कांग्रेस की क्या प्रतिक्रिया होती है।