L19 Ranchi : अगर सबकुछ सही रहा तो जल्द ही आम आदमी को आधार से अपनी संपत्ति के कागजात लिंक कराने होंगे, क्योंकि सरकार अब इस पर विचार कर सकती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से भ्रष्टाचार, कालाधन सृजन और बेनामी लेन-देन पर अंकुश लगाने के लिए नागरिकों की चल और अचल संपत्ति के दस्तावेज को उनके आधार से जोड़ने के अनुरोध वाली याचिका को अभ्यावेदन के रूप में स्वीकार कर उस पर विचार करने को कहा।
दरअसल, न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की पीठ ने कहा कि ये नीतिगत फैसले हैं और अदालतें सरकार को ऐसा करने का निर्देश नहीं दे सकतीं। अदालत ने कहा कि सरकार तीन महीने में अर्जी पर निर्णय ले। न्यायमूर्ति शकधर ने कहा, ‘अदालतें ऐसे मामलों में कैसे पड़ सकती हैं। ये नीतिगत निर्णय हैं, अदालतें उन्हें ऐसा करने के लिए कैसे कह सकती हैं। प्रथमदृष्टया, जो बात मुझे समझ में नहीं आ रही है वह यह है कि ये ऐसे क्षेत्र हैं जिनके बारे में हमारे पास पूरी तस्वीर या आंकडा नहीं है, ऐसे कौन से विभिन्न पहलू हैं जो सामने आ सकते हैं… सबसे अच्छा यह है कि उन्हें इसे एक अभ्यावेदन के रूप में मानकर विचार करने दिया जाए। अदालत अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि यह राज्य का कर्तव्य है कि वह भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए उचित कदम उठाए और अवैध तरीकों से अर्जित की गई ‘बेनामी’ संपत्तियों को जब्त कर यह सख्त संदेश दे कि सरकार भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। उच्च न्यायालय ने इससे पहले वित्त, कानून, आवास और शहरी मामलों और ग्रामीण विकास मंत्रालयों को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया था। याचिका में कहा गया, ‘अगर सरकार संपत्ति को आधार से जोड़ देती है तो इससे सालाना आर्थिक वृद्धि में दो प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। यह चुनावी प्रक्रिया को साफ-सुथरा बनाएगा, जिसमें काले धन और बेनामी लेन-देन का बोलबाला है जो बड़े पैमाने पर अवैध निवेश के चक्र से पनपती है। निजी संपत्ति एकत्र करने के लिए राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल नागरिकों का तिरस्कार है।