L19 DESK : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए पुराने संसद भवन में बीते 75 साल के ऐतिहासिक लम्हों का जिक्र किया। उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट’ भाषण का जिक्र किया, जो उन्होंने आजादी के बाद दिया था। पीएम मोदी ने कहा कि इसी संसद भवन में जवाहरलाल नेहरू ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से भारत की आजादी को चिह्नित करते हुए अपना मशहूर भाषण दिया था।
इस मौके पर पीएम मोदी ने चंद्रयान 3 की सफल लांचिंग और जी20 सम्मेलन के सफल आयोजन की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि जी20 का सफल आयोजन किसी व्यक्ति या पार्टी की नहीं, बल्कि देश के 140 करोड़ लोगों की सफलता है। उन्होंने कहा कि यह भारत की ताकत थी, जिसने जी20 घोषणापत्र में आम सहमति बनाई थी, जिसमें चल रहे रूस-यूक्रेन संकट पर पैराग्राफ शामिल थे।
पीएम मोदी ने कहा कि भले ही इस परिसर का निर्माण विदेशी शासकों ने कराया था। लेकिन इसको बनाने में लगने वाली कड़ी मेहनत और पैसा हमारे ही देश के लोगों का था। पंडित नेहरू, शास्त्री जी, अटल जी, मनमोहन सिंह जी तक देश का नेतृत्व करने वालों की बड़ी संख्या रही है। उन्होंने सदन के माध्यम से देश को दिशा दी है। देश को नये रंग रूप में ढालने का काम किया है। आज उनके गौरवगान का अवसर है।
राम मनोहर लोहिया, चंद्रशेखर, लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने सदन की चर्चाओं को समृद्ध किया। देश को तीन प्रधानमंत्रियों- पंडित नेहरू, लालबहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को उनके कार्यकाल के दौरान खोना पड़ा और सदन में उमंग तथा उत्साह के पलों के बीच आंसू भी बहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने इसी सदन में कहा था कि, ‘सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी लेकिन यह देश रहना चाहिए।’’ पंडित नेहरू के प्रारंभिक मंत्रिपरिषद में मंत्री के रूप में डॉ भीमराम आंबेडकर दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाएं भारत में लाने में जोर देते थे और इसका परिणाम देश को आज भी लाभ के रूप में मिल रहा है।
वाजपेयी ने परमाणु परीक्षण करके दुनिया को देश की ताकत भी दिखाई। इसी सदन में मनमोहन सिंह की सरकार के समय देश ने ‘नोट के बदले वोट’ कांड को भी देखा। इस सदन में समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व नजर आता है। सामाजिक, आर्थिक पृष्ठभूमियों, गांवों-शहरों समेत पूर्ण रूप से समावेशी वातावरण यहां देखने को मिलता है। संसदीय इतिहास के प्रारंभ से अब तक दोनों सदनों में कुल मिलाकर लगभग 7500 सदस्यों ने प्रतिनिधित्व किया है जिनमें करीब 600 महिला सदस्य रही हैं।
धीरे-धीरे महिला सदस्यों की संख्या बढ़ती गयी है। इसी सदन की शक्ति है कि इंद्रजीत गुप्ता जैसे सांसद 43 साल तक सदन में रहे तो आज शफीकुर रहमान बर्क 93 वर्ष की आयु में भी सदन में योगदान दे रहे हैं। भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि 25 साल की चंद्रमणि मुर्मू सदन की सदस्य बनीं।