L19 DESK : यूएपीए के तहत प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को सुप्रीम कोर्ट की ओऱ से बड़ा झटका मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने बैन के खिलाफ पीएफआई की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि पहले उसे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए था। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि यूएपीए के तहत बैन संगठनों के लिए ट्राइब्यूनल के फैसले के खिलाफ पहले हाई कोर्ट में याचिका फाइल करनी चाहिए।
पीएफआई की ओर से वकील श्याम दीवान पेश हुए थे। उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट की बेंच की सलाह पर सहमति जताई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पीएफआई की याचिका खारिज कर दी। पीएफआई ने अपनी याचिका में यूएपीए ट्राइब्यूनल के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें केंद्र के फैसले पर मुहर लगाई गई थी।
केंद्र सरकार ने पीएफआई और अन्य संगठनों पर 22 सितंबर 2022 को रोक लगा दी थी। पीएफआई पर आरोप है कि उसके संबंध आईएसआईएस जैसे आतंकवादि संगठनों से हैं और वह देश में नफरत फैलाने का काम कर रहा था। ताबड़तोड़ छापों और गिरफ्तारियों के बाद केंद्र सरकार ने पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया था। बता दें कि पीएफआई मुस्लिम संगठनों से मिलकर बना है। 2006 में यह अस्तित्व में आया था। इसमें केरल नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई शामिल हैं। पीएफआई का कहना है कि यह गैरलाभकारी संगठन हैं। देश के कई राज्यों में इसकी शाखाएं थीं। इसका हेडक्वार्टर केरल के कोझिकोड में था। विदेशों में भी पीएफआई ऐक्टिव है और अरब देशों में अखबार निकालकर भी फंड इकट्ठा करती है।