RANCHI : झारखंड की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर पूरे राज्य को शर्मसार कर रही है. चाईबासा से सामने आई वह हृदयविदारक तस्वीर, जिसमें एक पिता को अपने चार साल के बेटे का शव 20 रुपये के थैले में डालकर बस से गांव ले जाना पड़ा, ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है. इस खबर पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने तीखी और भावुक प्रतिक्रिया दी है.
झारखंड राज्य बनने के 25 वर्षों बाद भी इस से ज्यादा अमानवीय एवं अफसोसजनक क्या हो सकता है? एक गरीब पिता को एम्बुलेंस नहीं मिल पाई, जिसकी वजह से उसे अपने नन्हें से बच्चे का शव इस प्रकार…
इसी चाईबासा में बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाया गया था। दो दिन पहले अखबार में रिम्स में दवाओं… pic.twitter.com/Hvgs3srRDM
— Champai Soren (@ChampaiSoren) December 20, 2025
इसे भी पढ़ें : इरफान अंसारी का ऐतिहासिक कदम : झारखंड सरकार ने बिहार की डॉ. नुसरत प्रवीण को दिया सम्मानजनक भविष्य
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने इस घटना को झारखंड राज्य गठन के 25 वर्षों बाद भी अमानवीय और अफसोसजनक बताते हुए कहा कि इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है. उन्होंने कहा कि एक गरीब पिता को न तो एम्बुलेंस मिली, न ही अस्पताल से कोई सहयोग, और अंततः उसे अपने मासूम बच्चे का शव इस तरह ले जाना पड़ा.
चंपई सोरेन ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि यही चाईबासा है, जहां इससे पहले भी बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने जैसी गंभीर घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्य व्यवस्था में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि हाल ही में अखबारों में रिम्स में दवाओं की भारी कमी और सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था की खबरें प्रकाशित हुई थीं.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था अब अपवाद नहीं, बल्कि रोजमर्रा की सच्चाई बन चुकी है. एम्बुलेंस की कमी, खाट पर मरीजों को ढोने की मजबूरी और इलाज के अभाव में मौत की खबरें लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन सरकार पर इसका कोई असर नहीं दिखता.
उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह केवल प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि जनता के प्रति असंवेदनशील और बेशर्म रवैये का प्रमाण है. चंपई सोरेन ने सवाल उठाया कि जब एक बच्चे के शव को सम्मानपूर्वक घर तक पहुंचाने की व्यवस्था नहीं हो सकती, तो सरकार किस तरह के विकास और सुशासन का दावा कर रही है.
इस घटना और उस पर आई राजनीतिक प्रतिक्रिया ने एक बार फिर झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकारी दावों की हकीकत को उजागर कर दिया है. अब सवाल यह है कि क्या इस बार भी यह मामला सिर्फ सुर्खियों तक सीमित रह जाएगा या जिम्मेदारों पर कोई ठोस कार्रवाई होगी.
