l19desk:क्या जेएमएम और भाजपा के बीच कुछ खिचड़ी पक रही है ? क्या हेमंत और हिमंता एक हो रहे हैं? ये सवाल इसलिये दागे जा रहे हैं, क्योंकि हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने एक बयान से अप्रत्यक्ष रूप से हेमंत सोरेन ही नहीं, बल्कि झारखंड सरकार का भी बचाव किया है। एक तरफ जहां दोनों कुछ मुद्दों को लेकर आये दिन बहसबाजी पर उतर आते हैं, वहीं कुछ मुद्दों, खास कर बाढ़ जैसे मसले पर वे एक दूसरे को thankyou welcome करने से भी पीछे नहीं हटते। हालिया मामला ममता बनर्जी द्वारा झारखंड के बारे में किये गये बयानबाजी से संबंधित है, जिसका भले ही सीएम हेमंत सोरेन ने अब तक कोई रिस्पॉन्स न दिया हो, लेकिन हिमंता बिस्वा सरमा ने झारखंड के लिये अपनी गहन चिंता व्यक्त करते हुए पलटवार कर दिया। साथ ही हेमंत सोरेन का बचाव भी किया। एक बार के लिये ऐसा लगा जैसे कि झामुमो के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य नहीं, बल्कि हिमंता बिस्वा सरमा ही हैं।
पहले तो आप ये जान लीजिये कि आखिर ममता बनर्जी ने झारखंड के बारे में ऐसा क्या कह दिया कि हिमंता बिस्वा सरमा बिफर पड़े। दरअसल, बीते दिनों झारखंड के अलग अलग क्षेत्रों में इतनी बारिश हुई, इतनी बारिश हुई, कि राज्य में पहली बार बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी। यहां बाढ़ खत्म नहीं हुआ था कि इस बीच ममता बनर्जी ने अपने बयानबाजी से झारखंड की राजनीति में भूचाल ला दिया। उन्होंने कहा कि झारखंड का पानी बंगाल में बाढ़ ला रहा है। अपने एक्स हैंडल के माध्यम से एक पोस्ट शेयर करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि अभी मैंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी से बात की। और बाढ़ की स्थिति पर चर्चा की। मैंने उनसे तेनुघाट डैम से अचानक औऱ भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के मामले पर चर्चा की., जिससे बंगाल में बाढ़ आ गयी है। मैंने उनसे कहा कि झारखंड का पानी बंगाल में बाढ़ ला रहा है। औऱ यह मानव निर्मित है। मैंने उनसे अनुरोध किया कि कृपया इसका ध्यान रखें।
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि 2 दिनों की भारी बारिश के कारण नदियों औऱ जलाशयों का water level अचानक बढ़ गया था। ऐसे में तेनुघाट डैम से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद कल रविवार को भी डीवीसी ने पंचेत और मायथन डैम से 1.2 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा था। इससे पहले शनिवार 3 अगस्त को भी पंचेत और मायथन डैम से 90 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था।
बात जब झारखंड की होने लगी, तो पता नहीं क्यों असम के मुख्यमंत्री अचानक तिलमिला उठे। हिमंता बिस्वा सरमा ने ममता बनर्जी के उस पोस्ट को अपने एक्स हैंडल पर शेयर करते हुए लिखा कि मैं दीदी का सम्मान करता हूं, लेकिन मैं उनकी इस धारणा को स्वीकार नहीं कर सकता कि झारखंड सरकार पश्चिम बंगाल में आयी बाढ़ के लिये जिम्मेदार है। दोनों सरकारों को लोगों की कठिनाइयों को कम करने के लिये मिलकर काम करना चाहिये। हर साल, अरूणाचल और भूटान पहाड़ियों से आने वाला पानी असम में बाढ़ का कारण बनता है. हालांकि हम अरूणाचल सरकार या ऱॉयल भूटान सरकार को दोष नहीं देते, क्योंकि हम समझते हैं कि पानी की कोई सीमा नहीं होती। और यह स्वाभाविक रूप से नीचे की ओर बहता है।
सुना आपने, हिमंता बिस्वा सरमा ने क्या कहा, कहा कि झारखंड सरकार, मतलब कि हेमंत सरकार की इसमें कोई गलती नहीं है। यकीन ही नहीं होता कि ये वही हिमंता बिस्वा सरमा हैं, जो हेमंत सरकार को बांग्लादेशी घुसपैठ के लिये सीधे सीधे जिम्मेवार ठहरा देते हैं। दरअसल, ये कोई प्यार व्यार नहीं है, बल्कि राजनीति का ही एक स्वरूप है। अभी झारखंड में विधानसभा का चुनाव होना है, तो इसके लिये असम के सीएम को यहां पर भाजपा को जीत दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। और इसके लिये उन्हें झारखंड की जनता से कनेक्ट होना भी जरूरी है। और बाढ़ क्योंकि प्राकृतिक आपदा है, इंसानी गलती तो है नहीं, इसलिये सरकार को सीधे सीधे जिम्मेवार भी नहीं ठहराया जा सकता, जैसा कि ममता बनर्जी ने किया। ऐसे में हिमंता बिस्वा सरमा ममता दीदी के बयान को झारखंडी अस्मिता से जोड़कर इसे राजनीतिक एंगल दे रहे हैं। इससे जेएमएम और ममता दीदी की पार्टी टीएमसी के बीच कलह उत्पन्न करने में भी मदद मिल सकती है। हो तो कुछ भी सकता है।
वैसे इस बहसबाजी में झारखंड भाजपा भी कहीं पीछे नहीं रही। नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने ममता बनर्जी के इस बयान को तुच्छ राजनीति करार देते हुए कह दिया कि वह अपनी कुशासन का ठिकरा झारखंड पर फोड़ना बंद करे। अपने एक्स हैंडल के माध्यम से एक पोस्ट शेयर करते हुए अमर बाउरी ने लिखा कि ममता बनर्जी का यह कहना कि झारखंड सरकार पश्चिम बंगाल में आयी बाढ़ के लिये जिम्मेदार है, और उन्होंने इसके लिये मुख्यमंत्री को खरी खोटी भी सुना दी। उन्होंने आगे लिखा कि झारखंडी अस्मिता से हेमंत जी समझौता कर सकते हैं, पर भारतीय जनता पार्टी झारखंड बिल्कुल यह फेक नैरेटिव बर्दाश्त नहीं करेगी कि बंगाल में बाढ़ झारखंड की वजह से आ रहा है। खुद का घर संभालिये, दूसरों पर दोषारोपण करना छोड़िये।
हालांकि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ममता बनर्जी के इस पोस्ट का न तो अब तक कुछ रिप्लाई किया है, न ही इस पर कोई बयान दिया है। लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि ममता चाहती हैं कि झारखंड डूब जाये। साल 1952 से हमारे गांव मसानजोर डैम के कारण डूब रहे हैं। इससे सिंचाई का लाभ बंगाल को मिलता रहा है। पंचेत और मैथन डैम से भी झारखंड के गांव डूबे और यहां के कोयले से पैदा बिजली का लाभ बंगाल को हो रहा है। इसके बावजूद ममता बनर्जी बेतुका बातें कर रही हैं।
इस पूरे तू-तू, मैं-मैं से साफ है, जेएमएम और टीएमसी के बीच दरार पैदा होनी शुरु हो गयी है। वहीं कुछ समय से कांग्रेस और झामुमो के बीच भी अनबन की स्थिति बनी हुई दिख रही है। ऐसे में झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन कहीं टूटने के कगार पर तो नहीं ?
BJP – JMM का आखिर किस मसले पर हो गया गठबंधन ?
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