L19 DESK : बांग्लादेशी घुसपैठियों पर झारखंड हाई कोर्ट ने पूछा है कि केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों की संयुक्त टीम बना कर संताल परगना के पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा, दुमका, गोड्डा जिलों में अवैध घुसपैठिये की पहचान करना संभव है या नहीं? घुसपैठियों के कारण इन इलाकों में रहने वाले लोगों की संख्या में बदलाव हो रहा है। हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी है। चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन ने मामले की सुनवाई हुई।
कोर्ट ने पूछा कि क्या एक संयुक्त टीम बनाकर संताल परगना के पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा, दुमका, गोड्डा जिलों में अवैध घुसपैठिया की पहचान करना संभव है या नहीं कोर्ट ने दो सप्ताह के अंदर इसका जवाब मांगा है। अगली सुनवाई खंडपीठ ने 13 दिसंबर की तिथि निर्धारित की है। पूर्व केंद्र सरकार की ओर से वकील प्रशांत पल्लव ने पैरवी की। केंद्र ने शपथ पत्र दायर कर बताया था कि शक्तियां राज्य सरकार को प्रदान की गयी है। राज्य सरकार ऐसे लोगों की पहचान कर सकती है।
उन्हें कैंप में रख सकती है और वापस भेज सकती है। याचिकाकर्ता डेनियल दानिश ने आरोप लगाया है कि साहिबगंज, पाकुड, गोड्डा, जामताड़ा, दुमका की सीमा जो बांग्लादेश से सटा हुआ है, उनमें सुनियोजित तरीके से घुसपैठ हो रहा है। याचिका में कहा गया है कि घुसपैठिए आदिवासी लड़कियों से शादी करते है फिर लड़की का धर्म परिवर्तन करा लेते हैं। कुछ वर्षों में संताल परगना के साहिबगंज, जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, दुमका आदि जिलों में अचानक मदरसों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गयी है। घुसपैठियों को मदरसो में ठहराया जाता हैं। यहां उनके दस्तावेज तैयार होते हैं जिसके बाद उन्हें बाहर निकाला जाता है।