L19 DESK : पसमांदा मुस्लिम यूनाइटेड काउंसिल भारत के सदस्य, अंसारी महापंचायत और लोक प्रिय समता पार्टी पटना के राष्ट्रीय अध्यक्ष वसीम नैयर अंसारी ने कहा कि पसमांदा समाज को उचित भागीदारी नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव में जो पार्टी पसमांदा समाज के हक अधिकार की बात करेगी, सिर्फ बात ही नहीं उसे कर के दिखाना होगा। समाज का पूरा मत उसे मिलेगा।
संविधान कहता है कि सभी नागरिक समान हैं। इसलिये केंद्र सरकार हिंदु, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी का देश भारत को बनाये। इसके लिए अनुच्छेद 341 एवं 342 पर लगे संविधान विरोधी धार्मिक प्रतिबंध को समाप्त कर मुस्लिम व इसाई के साथ हो रहे धर्म आधारित पक्षपात को समाप्त किया जाये। उन्होंने कहा कि एमआईएम मुसलमानों की आवाज उठाती है, लेकिन पसमांदा समाज की आवाज नहीं उठाती है। बिहार में हमारी पार्टी बनी है, दिल्ली में 1 अक्टूबर को पार्टी लांच हो रही है। और अब झारखंड में भी पार्टी बनाने की तैयारी है।
झारखंड में पार्टी की कमान राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल्लाह अजहर कासमी के हाथों में है। पसमांदा मुस्लिम यूनाइटेड काउंसिल भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल्लाह अजहर कासमी ने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने सभी को हमेशा साथ लेकर चले। दबे-कुचले, दलितों, शोषितों की आवाज बन कर चले। हर एक को उसका अधिकार दिलाया। झारखंड में मुसलमानों के हालात काफी बिगड़े हुए हैं।
मॉबलिंचिंग के शिकार शमशाद के यहां हमारे मुख्यमंत्री नहीं गये। अलीमुद्दीन अंसारी की पत्नी इंसाफ के लिए परेशान है। ऐसे और भी कई हैं, सभी को हक मिलना चाहिये। इसके लिए सभी मुसलमानों को एक होकर साथ आना होगा। मौके पर मौलाना तौफीक अहमद कादरी, मो जकी, अब्दुल हसीब, शोएब अंसारी, प्रो शकील अंसारी, मो आलम, मो जबिउल्लाह, महमूद आलम, शहाबुद्दीन अंसारी पटना, यासीन अंसारी, चंद्रवंशी, मधुमंसूरी, सोहेल अख्तर, मो मेराज, एहतेशाम अली, शहनाज खान, नसरत परवीन शामिल थे।
पसमांदा समाज की मांग मॉब लिंचिंग पर सख्त कानून बने, महिलाओं को कानूनी सुरक्षा एवं सम्मान मिले. दुष्कर्मियों को फांसी मिले. भारत सरकार वक्फ प्रापर्टी पर अविलंब अतिक्रमण हटाये. वक्फ प्रॉपर्टी से हो रहे लाभ पसमांदा मुसलमानों की शिक्षा, स्वास्थ्य पर खर्च हो. जातीय जनगणना, जनगणना अधिनियम 1948 के तहत कराया जाये. झारखंड सरकार शिडयूल जिलों के एकल पदों मुखिया, प्रमुख, जिला परिषद का संविधान के आधार पर अनारक्षित कर डी नोटिफाईड किया जाये।
शिड्यूल जिलों की नियुत्तियों में पसमांदा पिछड़ों का आरक्षण करीब शून्य कर दिया गया है, उन जिलों में जितनी आबादी पसमांदा पिछड़ों की है, उतना आरक्षण दिया जाये. रगनाथ मिश्र आयोग व सच्चर कमिटी की सिफारिश को लागू करें। मुसलमानों में अंसारी, कलवार, धोबी, हलालखोर, कुरैशी, राईन, इदरीसी आदि कई ऐसी जातियां हैं, जिन्हें शिड्यूल कास्ट का दर्जा मिलना चाहिये। राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय सियासी पार्टीयों ने पसमांदा मुसलमानों का शोषण किया है। सच्चर कमिटी की रिपोर्ट ने सियासी पार्टियों के चेहरे से नकाब उठा दिया है। भारत में रहने वाले पसमांदा मुस्लिम किसी राजनीतिक दल के बहकावे में नहीं आयेंगे।