L19 DESK : कृषि बजट पर अपने भाषण के दौरान जमशेदपुर (पूर्वी) के विधायक सरयू राय ने सोमवार को विधानसभा में कृषि उत्पादन बाज़ार समिति अधिनियम के प्रावधानों पर पुनः विचार करने और इसे प्रैक्टिकल बनाने पर ज़ोर दिया। उन्होंने मांग की कि सरकार पड़ोसी राज्यों में कृषि उत्पादन बाज़ार समितियों की कार्यप्रणाली का अध्ययन कर अधिनियम में संशोधन, टैक्स का निर्धारण व टैक्स बढ़ोतरी को वापस ले।
उन्होंने सदन को बताया कि बाज़ार टैक्स वृद्धि और राज्य जीएसटी के वसूली का तुलनात्मक अध्ययन कर देखें कि बाज़ार समिति का कर की बढ़ोतरी का असर जीएसटी पर क्या पड़ेगा। पड़ोसी राज्यों में बाज़ार समिति टैक्स झारखंड से कम है या वहां बाज़ार समिति कार्यरत ही नहीं है। इसलिए झारखंड के बड़े उपभोक्ता पड़ोसी राज्य से सामान ख़रीदेंगे और झारखंड को जीएसटी नहीं मिलेगा।
सरयू राय ने कहा कि सारे कृषि बाज़ार समितियों को जोड़ दिया जाये तो इनके पास क़रीब 500 करोड़ रूपये जमा हैं। दूसरी ओर, बाज़ार समितियों के दुकानों, यहां की सड़कों व जनसुविधाओं की स्थिति अच्छी नहीं है। सरकार जमा पैसे का उपयोग बाज़ार समितियों की स्थिति सुधारने और उनके ख़ाली पड़े ज़मीनों को विकसित कर पूंजी की व्यवस्था करे।
उन्होंने कृषि मंत्री से यह बताने के लिए कहा कि झारखंड खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है या नहीं और यहां खाद्यान्न का कितना व्यापार बाहर के उत्पत्ति से होता है। झारखंड में खाद्यान्न उत्पादन कम है ट्रेडिंग ज़्यादा है। बाज़ार समिति का उद्देश्य किसानों को उनके उत्पादनों के लिए बाज़ार उपलब्ध कराना है। मगर झारखंड में ऐसा हो नहीं रहा है। बल्कि ट्रेडिंग हो रही है। ऐसी स्थिति में सरकार बाज़ार समिति अधिनियम के प्रावधानों पर पुनर्विचार कर टैक्स घटाए व उपयोगिता बढ़ाए।
विधायक ने कृषि मंत्री से कि कृषि बजट के दस्तावेज़ों को दुरुस्त करने को भी सलाह दी। इसके साथ ही आंंकड़ों की विसंगतियां दूर करने, कृषि सांख्यिकी को अद्यतन करने, कृषि सर्वेक्षण आरम्भ कराने को भी कहा। इसके अलावा उन्होंने सब्ज़ी, अंडा व दूध उत्पादन को टिकाऊ बनाने, सब्ज़ियों के मौसम में उनके रखरखाव की व्यवस्था कराने, कोल्ड चेन बनाने तथा किसानों की ज़मीनी आमदनी बढ़ाने का लक्ष्य पूरा कराने की भी बात की।