L19/Ranchi : राजधानी रांची में 50 करोड़ की लागत से बन रहे डायमंड सिटी प्रोजेक्ट को पास करने में कई नियमों की अनदेखी किये जाने की सूचना है। जिस तरह रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) की तरफ से लगभग एक लाख वर्ग मीटर के नक्शे को पास किया। उससे भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं। आरआरडीए ने 2018 में डायमंड सिटी का नक्शा, जिसे इस्टर्न इस्टेट कंस्टक्शन एंड डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड ने पास कराया है।
35 हजार वर्ग मीटर के स्पेश में 35 मीटर के 13 टावर बनाये जा रहे हैं। इस सिटी में 4803 इकाईयां आवास बनायी जा रही है। इसमें आवासीय, व्यावसायिक, स्टाफ क्वार्टर और अन्य शामिल हैं। कांके के ओयना में खाता नंबर 1, 67, 160, 154, 76, 150, 163 और 16 में कई आवासीय प्रोजेक्ट बनाये जा रहे हैं। इसके लिए इस्टर्न इस्टेट के निदेशक संजीव कुमार ने 2010 के बाद से साहू और मुस्लिम परिवारों की 50 एकड़ से अधिक जमीन खरीदी है।
डायमंड सिटी का उल्लेख रफ्तार मीडिया इसलिए कर रहा है क्योंकि यहां पर सिर्फ रसूखदार, बल्कि माननीय समेत 224 से अधिक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों ने बुकिंग करा रखी है. बुकिंग करानेवालों में राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन, आइएएस अधिकारी मनीष रंजन, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गये झारखंड कैडर के आइएएस एनएन सिन्हा सरीके अधिकारी हैं।
राजधानी रांची के ओयना प्रखंड में डायमंड सिटी बन रहा है। में पर्यावरण के नियमों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन हो रहा है। अब तक इस परियोजना का पर्वावरण क्लीयरेंस नहीं मिल पाया है। पिठौरिया थाने में बन रहे आवासीय कांपलेक्स में डायमंड सिटी के प्रमोटर इस्टर्न इस्टेट कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड को नियमों की अवहेलना की नोटिस भी जारी की गयी थी।
17 सितंबर 2022 को वन विभाग की राज्य स्तरीय एक्सपर्ट एप्रेजल कमेटी (एसइएसी) की 97वीं बैठक में यह कहा गया कि प्रमोटरों के द्वारा किये गये नियमों के उल्लंघन की जानकारी दी गयी है। बैठक में कहा गया कि देश की शीर्ष अदालत ने इलेक्ट्रो स्टील लिमिटेड बनाम केंद्र सरकार नामक याचिका में स्पष्ट कहा है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से 7 जुलाई 2021 को प्रमोटरों और बिल्डरों के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिड्यूर तय किया गया है।
इसका अनुपालन करना हर प्रमोटरों के लिए जरूरी है. एक्सपर्ट कमेटी की बैठक में 10 से 14 मई तक हुई बैठक में बिल्डरों और प्रमोटरों की तरफ से नियमों का उल्लंघन करने को लेकर सभी को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया था। इसमें इस्टर्न इस्टेट भी शामिल है। प्रतेय्क साइट 34762.63 वर्ग मीटर में बन रहा है. जबकि डीड में भूमि का आकार 32,432.36 वर्ग मीटर दर्शाया गया है।
डायमंड सिटी का कुल बिल्ट अप क्षेत्र 99115.195 वर्ग मीटर है। जिसका ग्रीन एरिया लगभग 10200 वर्ग मीटर है। डायमंड सिटी की कुल लागत भी 47.8 करोड़ रुपये बतायी गयी है, जिसमें एक-एक टावर की हाईट 35 मीटर तक है। इसमें ए से लेकर डी ब्लाक तक कुल 13 यूनिट बनाये जा रहे हैं। डायमंड सिटी में कुल 836 फ्लैट बनाये जा रहे हैं, जो आवासीय हैं। स्टाफ क्वार्टर लगभग 209 हैं, विजिटरों के ले 418 फ्लैट बनाये जा रहे हैं। कुल मिला कर 4808 यूनिट बनाये जा रहे हैं।
इस परियोजना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इसमें पहला सवाल यह है कि जब 2008 में तत्कालीन सरकार ने सीएनटी में शामिल किये गये साहू, अंसारी, महतो समेत अन्य की जमीन की डीड कैसे बनी। किस आधार पर जमीन का निबंधन कराया गया। इस्टर्न इस्टेट के प्रमोटर संजीव कुमार कहते हैं कि साहू की जमीन फ्री होल्ड सेल की जमीन है, जबकि उनके वकील नरेंद्र कुमार कहते हैं कि हमने जिला प्रशासन की सारी मंजूरी ली है।
50 एकड़ जमीन ओयना में लिया गया है। इसके अलावा एक लाख वर्ग मीटर के 13 टावरों की हाईट भी 35 मीटर यानी 105 फीट से अधिक है। इन 4800 इकाईयों के लिए पीने के पानी की निर्बाध आपूर्ति के लिए कई डीप बोरवेल भी किये गये होंगे। क्या भूगर्भ जल बोर्ड से इसकी अनुमति ली गयी। सरकार को इसकी सूचना दी गयी। निर्बाध विद्युतापूर्ति के लिए कई हाई पावर ट्रांसफरमर लगाने की अनुमति झारखंड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड से ली गयी. पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए किन-किन मानकों का ख्याल रखने की हिदायत दी गयी. सह सब तात्कालिक प्रश्न हैं, जो हमारे दर्शक जानना चाहते हैं।