L19 DESK : राज्य के कोडरमा जिले मे ‘लिथियम’ का भंडार मिला है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की प्रारंभिक जांच में पुष्टि हो गयी है कि माइका के साथ-साथ लिथियम का भी भंडार है। अब जी-3 लेवल की खुदाई कर विस्तृत रूप से यह पता चल सकेगा कि यहां लिथियम की मात्रा कितनी है। यह जानकारी जीएसआइ के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद ने दी।
जीएसआइ के कार्यालय में महानिदेशक जनार्दन प्रसाद ने शनिवार को आयोजित प्रेस वार्ता मेंकहा कि 2050 तक देश में बैटरी पर निर्भरता बढ़ने वाली है। इसके लिए लिथियम सबसे जरूरी तत्व है। इसलिए लिथियम की खोज पर फोकस किया जा रहा है। जम्मू में लिथियम के भंडार का पता चल चुका है। राजस्थान के भीलवाड़ा और आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में भी लिथियम भंडार की संभावना है। खोज के साथ-साथ जीएसआइ की प्राथमिकता इस बात पर है कि रिसर्च लेबल से कैसे आगे बढ़ाया जाये।
खुदाई करनेवाले संस्थानों को केंद्र सरकार करेगी फंडिंग
जनार्दन प्रसाद ने बताया कि लिथियम की खुदाई (एक्सट्रेक्शन) की तकनीक चीन के पास है। इस पर उसकी मोनोपोली है। लिहाजा, जीएसआइ धनबाद के सिंफर, आइआइटी आइएसएम व अन्य आइआइटी समेत कई अन्य संस्थानों के साथ एमओयू किया जायेगा, एक्स्ट्रेक्शन पर काम शुरू हो सके। खुदाई करनेवाले संस्थानों को केंद्र सरकार फंडिंग भी करेगी।
आगे उन्होंने बताया कि तमाड़ में दो जगहों पर सोने की खदान का पता चला है। पूर्व में भी झारखंड में सोने की दो खदानों का पता चल चुका है। उनका ऑक्शन भी हो गया है, लेकिन किसी कारणवश अब तक निकासी का काम शुरू नहीं हो पाया है। जीएसआइ के महानिदेशक का कहना है कि मिनरल मिलने से सबसे ज्यादा फायदा राज्य सरकार को राजस्व के रूप में होगा। संबंधित इलाकों में रोजगार का सृजन होगा।
वही डालटनगंज में ग्रेफाइट के भंडार की खोज के लिए ड्रिलिंग का काम प्रभावित हो गया। लेकिन इस काम में स्थानीय लोग अड़चन पैदा कर रहे हैं। लिहाजा, सरकार और प्रशासन से सहयोग की अपेक्षा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को लगता है कि अगर उनकी जमीन पर किसी खनिज का भंडार मिलेगा, तो उनको विस्थापित होना पड़ेगा। लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि इससे उनका विकास होगा। उन्हें रोजगार मिलेगा।