L19 Desk : झारखंड सहित पड़ोसी राज्यों में एक बार फिर कुड़मी को एसटी का दर्जा देने की मांग तेज़ होने वाली है। एक बार फिर रेल टेका आंदोलन शुरु होने वाला है। लेकिन यहां सवाल है कि आख़िर इस आंदोलन में जयराम महतो का क्या रुख होगा ? क्या वर्तमान समय में कुड़मियों के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले जयराम महतो इस आंदोलन में कुड़मी जनता के साथ खड़े रहेंगे या फिर हमेशा की तरह कुड़मी को एसटी का दर्जा दिये जाने के सवालों से बचते दिखायी देंगे ? क्या झारखंड की आदिवासी जनता खुद को जयराम से अलग कर लेगी ? ये वो तमाम सवाल हैं जो कुड़मी आंदोलन की घोषणा के साथ ही खड़े होने शुरु हो गये हैं।
20 सितंबर को शुरु होगा रेल टेका आंदोलन
दरअसल, कुड़मी को एसटी का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर 20 सितंबर से एक बार फिर से रेल टेका आंदोलन शुरू होगा। इसके तहत झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में 100 स्टेशनों पर रेलवे का परिचालन ठप्प कराया जायेगा। ये फैसला बीते शुक्रवार 7 फरवरी को पश्चिम बंगाल के मुरगुमा में आयोजित आदिवासी कुड़मी समाज की बैठक में लिया गया, जहां झारखंड, बंगाल और ओडिशा के कुड़मी समाज के हज़ारों लोग शामिल हुए। इस आंदोलन का मकसद सरकार का ध्यान अपनी मांगों की ओर खींचना है।
बैठक को संबोधित करते हुए आदिवासी कुड़मी समाज के मुख्य संरक्षक अजीत प्रसाद महतो ने कहा कि कुड़मी को एसटी का दर्जा दिलाने के लिए सभी संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया गया, लेकिन अब भी हमारी मांगों को लेकर कोई गंभीर नहीं है। ऐसे में 20 सितंबर को एक बड़ा आंदोलन शुरू होगा। ऐसा आंदोलन जिससे दिल्ली और राज्य में बैठे बड़े नेताओं को भी पता चलेगा कि झारखंड, बंगाल और ओडिशा के कुड़मी आखिर चाहते क्या हैं।
इन 6 प्रस्तावों पर लगी मुहर
इस दौरान इन 6 प्रस्तावों पर सहमति बनी। पहला प्रस्ताव ये कि साल 2025 की जनगणना में मातृभाषा के स्थान पर कुड़माली, जाति के स्थान पर कुड़मी और धर्म के स्थान पर आदिवासी धर्म लिखा जाये। दूसरा प्रस्ताव- अगर जाति आधारित जनगणना नहीं होती है, तो जनगणना का ही विरोध किया जायेगा। तीसरा प्रस्ताव – जन्म, विवाह, श्राद्धकर्म और अन्य पूजा आदिवासी कुड़माली नेग-चार से संपन्न किया जायेगा। चौथा प्रस्ताव – शादी-विवाह में कोई भी कुड़मी दहेज नहीं लेगा, दहेज लेनेवालों का सामाजिक बहिष्कार किया जायेगा। पांचवां प्रस्ताव – कुड़मी विधायकों और सांसदों द्वारा विधानसभा और संसद में कुड़मियों की सभी मांगों को न उठाने पर उनके विरुद्ध भी प्रदर्शन किया जायेगा। आखिरी प्रस्ताव – 20 सितंबर 2025 को पूरे वृहद छोटानागपुर में 100 जगहों पर रेल टेका किया जायेगा।
कुड़मी समाज क्यों कर रहा है आंदोलन ?
दरअसल, कुड़मी समाज लंबे समय से एसटी दर्जे की मांग कर रहा है। उनका मानना है कि उन्हें अब तक उनका हक नहीं मिला है। इस मांग को लेकर कुछ साल पहले भी कुड़मी समाज की ओर से कई दिनों का रेल रोको-चक्का जाम आंदोलन किया गया था, जिससे सैकड़ों रेलगाड़ियों का परिचालन ठप्प रहा था। 20 सितंबर 2023 को झारखंड में बड़ी संख्या में कुड़मी समाज के लोगों ने रेल रोको अभियान के साथ स्टेशनों पर पहुंचकर ट्रेनों को रोकने की कोशिश की थी। उस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी. इसके बावजूद बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए आंदोलनकारियों ने हावड़ा रेल मार्ग को जाम कर दिया।
वहीं, सितंबर 2022 और अप्रैल 2023 में भी कुड़मी संगठनों के हजारों लोगों ने लगातार पांच दिनों तक झारखंड में कई स्टेशनों पर धरना दिया था। इस आंदोलन की वजह से दोनों बार रेलवे को तकरीबन 250 ट्रेनें रद्द करनी पड़ी थीं. हावड़ा-मुंबई रूट सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था. एनएच-49 भी कई दिनों तक जाम रहा था और सैकड़ों गाड़ियां जहां-तहां फंस गई थीं. इस बार फिर से कुड़मियों ने रेल रोको आंदोलन का रास्ता चुना है। कुड़मी समाज के नेताओं का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
खैर, अब आने वाले समय में नज़र जयराम महतो पर टिकी रहेंगी, देखना होगा कि इस बार वह सीधे तौर पर कुड़मी आंदोलन को अपना सहयोग देते हैं या नहीं।