L19 DESK : 14 जून को हर साल विश्व रक्तदाता दिवस के रुप में मनाया जाता है। यह दिवस मनाने के पीछे की वजह विश्व भर में रक्तदान के प्रति जागरुकता को बढ़ावा देना और रक्तदाताओं को रक्तदान के लिये प्रोत्साहित करते हुए उनका आभार व्यक्त करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 2004 में इस दिन को विश्व रक्तदाता दिवस के रुप में मनाये जाने की घोषणा की थी। इस साल वर्ल्ड ब्लड डोनर्स डे की थीम “खून दो, प्लाजमा दो, जीवन साझा करो, अक्सर साझा करो” तय की गयी है।
आंकड़ों की मानें तो इस साल यानि अप्रैल 2022 से लेकर मार्च 2023 तक में 3,20,294 यूनिट रक्त राज्यभर में संग्रहित किया गया है। मगर यह आंकड़ा लक्ष्य से 29,706 यूनिट कम है। हालांकि, यह पहली बार है जब राज्य लक्ष्य के करीब पहुंच पाने में सफल हुआ है। वहीं, 2 लाख 10 हजार लोगों को इमरजेंसी में खून लेने के लिये भी डोनर का जुगाड़ करना पड़ा है। यह आंकड़ा झारखंड राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने जारी किया है।
हालांकि यह आंकड़ा देखने या सुनने में काफी ज्यादा लगता है, मगर मरीजों को अब भी बिना रिप्लेसमेंट के खून लेना काफी मुश्किल है। रिम्स और सदर अस्पताल के अलावा सभी ब्लड बैंकों में मरीजों को बिना खून दिये ब्लड लेने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। और इसके लिये स्वेच्छा से रक्तदान की कमी बड़ा कारण है। आंकड़ों के अनुसार, स्वेच्छा से रक्तदान करने वालों की संख्या केवल 1.10 लाख ही है, जबकि राज्य की कुल आबादी को देखते हुए हर वर्ष करीब 3.50 लाख यूनिट ब्लड की ज़रूरत पड़ती है।
राज्यभर में कुल 59 ब्लड बैंक हैं। इनमें से 31 नाको सपोर्टेड औऱ 28 निजी ब्लड बैंक हैं। जिसके तहत मरीजों को नियमित रुप से खून मिलता रहे इसका ध्यान रखा गया है। रांची जिले में खून न मिलने के वजह से हर दिन करीब 70 से 80 जरुरतमंद ब्लड बैंक से खाली हाथ लौट आते हैं। पिछले 1 सप्ताह में रिम्स ब्लड बैंक से 175 रोगियों को खून नहीं मिल सका है, जबकि सदर अस्पताल के ब्लड बैंक से करीब 150 लोग वापस लौटे। निजी ब्लड बैंकों में भी खून की भारी कमी है। यहां से भी रोगियों को समय पर खून नहीं मिल पा रहा है।
बताया जाता है कि स्वैच्छिक रक्त दान अब बहुत हद तक सरकारी ब्लड बैंकों के भरोसे हैं। जिसके कारण रिम्स, सदर सहित अन्य सरकारी ब्लड बैंकों में कई बार इमरजेंसी मामलों में भी बिना डोनेशन के ही मरीज़ों को ब्लड उपलब्ध करा दिया जाता है। हालांकि, निजी ब्लड बैंकों में बिना रिप्लेसमेंट रक्त मिल पाना बहुत कठिन है क्योंकि ये जरुरत के अनुसार रक्तदान कैंप का , आयोजन नहीं करते। इसके अलावा युवाओें में रक्तदान को लेकर जागरुकता की भारी कमी है।