RANCHI : बहुत आश्चर्य होता है ये देखकर कि कैसे हाईकोर्ट के सारे आदेश पर सरकार या प्रशासन का रवैया क्या है. आदेश आया कि रिम्स परिसर के पूरे DIG ग्राउंड के मोहल्ले को मैदान बना दीजिए. यह सुनते ही बुलडोजर, मजदुर, छेनी-हथौड़ी सब लेकर 72 घंटे के अन्दर सरकार ने न्यायलय की बात मानकर सब समतल कर दिया. लेकिन, वही हाई कोर्ट जब चिल्ला-चिल्लाकर पेसा कानून लागु करने की बात कर रहा है तो यही सरकार कान में तेल डालकर सोयी है. सरकार कि तरफ से समय मांगा जा रहा है. कहा जा रहा है कि अपने सिसाब से समय निकालकर करेंगे हुजुर. कल फिर हाईकोर्ट ने पेसा मामले में सरकार को खूब फटकार लगाई है.
इसे भी पढ़ें : इरफान अंसारी का ऐतिहासिक कदम : झारखंड सरकार ने बिहार की डॉ. नुसरत प्रवीण को दिया सम्मानजनक भविष्य

जानिए पूरा मामला
आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की अवमानना याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की कोर्ट ने पेसा कानून पर सरकार से स्पष्ट जानकारी न मिलने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की. कोर्ट ने कहा कि अगले 5 दिनों में सरकार बताये कि पेसा कानून कब लागू होगा.
इसे भी पढ़ें : हजारीबाग में 11 साल के बच्चे की बेरहमी से पिटाई, वीडियो वायरल होते ही आरोपी गिरफ्तार
सुनवाई के दौरान पंचायती राज विभाग के सचिव कोर्ट में उपस्थित हुए. कोर्ट ने सचिव से पूछा कि पेसा कानून से संबंधित नियमावली कैबिनेट में पेश की गयी है या नहीं. कोर्ट को जवाब देते हुए सचिव ने जानकारी देने के लिए समय मांगा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि 23 दिसंबर तक इससे संबंधित जानकारी नहीं मिली तो कोर्ट कड़ा रुख अपनाएगा.
अब तक पैसा को लेकर सरकार ने जो किया
पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि पंचायती राज विभाग ने पेसा नियमावली का प्रारूप तैयार कर लिया है. पहले प्रारूप को कैबिनेट को-ऑर्डीनेशन कमिटी को भेजा गया है. आपत्ति आने पर फिर से संशोधित कर ड्राफ्ट कमिटी को भेजा गया है. वहां से इसे कैबिनेट में भेजा जायेगा. हालांकि सरकार ने 23 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक बुलाई है. बताया जा रहा है कि इस बैठक में पेसा नियमावली के ड्राफ्ट को प्रस्तुत किय जायेगा. उम्मीद है कि उस दिन पेसा नियमावली को बैबिनेट से स्वीकृति मिल सकती है. अगर स्वीकृति मिल गई तो हाईकोर्ट से बालू घाटों के आवंटन पर लगी रोक हटने का रास्ता साफ़ हो जायेगा.
इसे भी पढ़ें : हजारीबाग में 11 साल के बच्चे की बेरहमी से पिटाई, वीडियो वायरल होते ही आरोपी गिरफ्तार
कहां फंसा है पेंच
हाई कोर्ट ने बालू घाटों और लघु खनिजों के आवंटन पर फिलहाल रोक लगाकर राखी है. केंद्र सरकार ने 1996 में पंचायत अधिनियम 1996 लागू किया था. इसका उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना है. झारखण्ड बनने के 25 साल के बाद भी अब तक राज्य सरकार इस कानून के तहत नियमावली नहीं बना पाई है. झारखण्ड सरकार ने 2019 और 2023 में पेसा नियमावली का ड्राफ्ट तैयार किया था. लेकिन, उसे लागू नहीं किया गया. इसके बाद आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से अवमानना याचिका दाखिल की गई थी. लेकिन, अंत में यह सवाल फिर भी उठेगा कि पेसा लागू करने के लिए हाई कोर्ट सरकार को बार-बार समय दे रहा, तो फिर आदिवासी रैयतों को क्यों नहीं ?
