RANCHI : केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के स्वरूप में बदलाव की तैयारी को लेकर झारखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है. राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का दावा है कि यदि नया ढांचा लागू किया गया, तो झारखंड को 1500 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.
केंद्र सरकार ने मनरेगा मजदूरों के अधिकारों पर व्यापक हमले की तैयारी कर ली है। महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने 1948 में हत्या की थी। पिछले 11 सालों से देश में गांधी जी के सोच को सुनियोजित तरीके से लगातार खत्म किया जा रहा है। और उसी दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने…
— Jharkhand Mukti Morcha (@JmmJharkhand) December 15, 2025
जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार मनरेगा के मौजूदा ढांचे को बदलकर एक नए ग्रामीण रोजगार मॉडल की दिशा में आगे बढ़ रही है. अब तक मनरेगा के तहत मजदूरी का पूरा भुगतान केंद्र सरकार द्वारा किया जाता रहा है, लेकिन प्रस्तावित बदलाव में मजदूरी और सामग्री लागत को लेकर केंद्र और राज्य के बीच 60:40 के अनुपात में खर्च साझा करने की बात सामने आ रही है.
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राज्य सरकार का कहना है कि इस नए प्रावधान से झारखंड पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा. विशेष रूप से सामग्री मद में राज्य को सैकड़ों करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे, जिससे पहले से दबाव में चल रहे राज्य के वित्तीय संसाधनों पर और असर पड़ेगा.
झामुमो ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि इस तरह के बदलाव मनरेगा की मूल भावना के खिलाफ हैं. पार्टी का कहना है कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण गरीबों और मजदूरों का कानूनी अधिकार है, जिसे कमजोर करने की कोशिश की जा रही है.
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पार्टी नेताओं का यह भी कहना है कि झारखंड जैसे आदिवासी और ग्रामीण बहुल राज्य में मनरेगा आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन है. ऐसे में योजना के स्वरूप में बदलाव से न केवल रोजगार के अवसर घटेंगे, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा.
झामुमो ने केंद्र सरकार से मांग की है कि पहले झारखंड के बकाया भुगतान और लंबित केंद्रीय सहायता राशि जारी की जाए. इसके बाद ही किसी नए ढांचे या बदलाव पर सहमति बनाई जाए. पार्टी ने चेतावनी दी है कि यदि राज्यहित की अनदेखी की गई, तो इस मुद्दे पर व्यापक राजनीतिक और सामाजिक विरोध दर्ज कराया जाएगा.
