L19 DESK : झारखंड विधानसभा, बजट सत्र के चार दिन खत्म हो गए हैं. इन चार दिनों में झारखंड के निर्वाचित सभी विधायकों में से अगर एक-दो विधायकों को छोड़ दिया जाए तो किसी भी विधायक ने राज्य के सबसे जरूरी और ज्वलंत मुद्दे पर अभी तक बात नहीं की. फिर चाहे वो खतियान आधारित स्थानीय नीति हो, नियोजन नीति हो, JSSC कलेंडर की बात हो, युवाओं के नौकरी की बात हो, सरना धर्म कोर्ड हो, OBC आरक्षण हो, राज्य की कानून व्यवस्था हो या पेसा कानून हो ऐसे कई और मुद्दे हैं, जो झारखंड और झारखंडियों के लिए जरूरी हैं लेकिन इस चार दिनों के दौरान ना तो सदन के अंदर और ना सदन के बाहर इन विषयों पर चर्चा हुई. लेकिन एक नाम जो इस बजट सत्र के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में रहा वो है दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का. अरविंद केजरीवाल के इस बार झारखंड के बजट सत्र में चर्चा पर रहने का कारण क्या है और झारखंड के असल मुद्दों पर अभी तक बात क्यों नहीं की गई.
शुरुआत अरविंद केजरीवाल के उस बयान से करते हैं, जिसकी वजह से केजरीवाल का नाम इस बजट सत्र में सबसे ज्यादा गूंज रहा है. इस वीडियो में अरविंद केजरीवाल, कह रहे हैं कि “मैं नरेंद्र मोदी जी को कहना चाहता हूं, मोदी जी इस जन्म में तो आप हमको नहीं हरा सकते, दिल्ली के अंदर आम आदमी पार्टी को.” वहीं, कुछ समय पहले हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को करारी हार मिली, हार ही नहीं मिली बल्कि अरविंद केजरीवाल अपना सीट भी गवां बैठे. अब हेमंत सोरेन की भी तुलना विपक्ष अरविंद केजरीवाल से कर रही है. विपक्ष के विधायकों का कहना है कि हेमंत सोरेन को भी अरविंद केजरीवाल से ज्यादा अहंकार और घमंड हो गया है. उनका यह घमंड यानी हेमंत सोरेन का यह घमंड उन्हें अरविंद केजरीवाल की तरह ही बना देगा. जनता सब देख रही है वो तय करेगी कौन उनका हितैषी है. हेमंत सोरेन की तुलना अरविंद केजरीवाल से बीजेपी विधायकों के अलावा, एलजेपी-रामविलास पार्टी के एकलौते विधायक जनार्दन पासवान और आजसू के विधायक तिवारी महतो ने भी की है. खैर, विपक्ष के अपने तर्क हैं, सत्ता पक्ष के इसके बचाव में अपने जवाब हैं.
लेकिन इन सब के बीच बजट सत्र के इन चार दिनों में जो मिसिंग रहा वो है, जनमुद्दा, झारखंडियों की बात. बालू को अगर छोड़ दिया जाए तो विपक्ष ने भी सरकार से नौकरी, कानून व्यवस्था, 1932, ओबीसी आरक्षण जैसे कोई ही सवाल बड़े मुश्किल से पूछे हैं. और सत्ता पक्ष के भी विधायकों ने इन मुद्दों पर बात करना जरूरी नहीं समझा. खैर, यह सत्र लंबा है, उम्मीद है इन सब पर भी बात होगी, सवाल खड़े होंगे और सत्ता पक्ष की ओर से भी सकारतक जवाब सुनने को मिलेंगे. बाकी, विधानसभा बजट सत्र से जुड़े सारे वीडियोज हम आपको दिखाते रहेंगे उससे अलग राज्य के और मुद्दों के लिए भी देखते रहिए लोकतंत्र-19 बाकी आप किन मुद्दों को चाहते हैं कि सदन के अंदर उठाना चाहिए हमें कमेंट कर जरूर बताएं.