
L19 DESK : झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो के सुर अब बदलने लगे हैं। उन्होंने सीधे राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन पर हमला कर दिया है। उन्होंने एक जनसभा में कहा कि झारखंड में राजभवन भाजपा के इशारों पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा विधान सभा मे विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों की पहचान सरना धर्म कोड को विधान सभा से पारित कर राजभवन को भेजा गया, लेकिन राजभवन से बिल को लौटा दिया गया। 1932 का खतियान को विधान सभा से पारित कर राजभवन को भेजा , जो वो भी राजभवन से वापस करा दिया गया। राजभवन भी भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोरचा पांच चीजों को लेकर आंदोलन कर रही है। इसमें 1932 का खतियान शामिल हैं। 1932 के खतियान से यह पता चलेगा कि यहां के मूलवासी और आदिवासी झारखंडी हैं। पिछड़ा वर्ग आरक्षण भी हमलोगों ने लाया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 1932 आधारित खतियान से संबंधित रोजगार का मार्ग प्रशस्त करने की परिकल्पना की थी। इसके बाद 60-40 नाय चलतो आंदोलन किया गया। यह आंदोलन किसके इशारे पर हो रहा है। इसे समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आरक्षण 60 फीसदी हो गया है। सबके लिए आरक्षण का मतलब क्या है। 20 फीसदी और आरक्षण दिये जाने पर 80 फीसदी लोगों को आरक्षण मिल पायेगा लेकन राज्य के लोगों को यह समझना होगा। झारखंड के इतिहास को समझना होगा । यह सब अब नहीं चलेगा । 11 नवंबर 2022 को झारखंड सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सरना आदिवासी धर्म कोड बिल पारित कराया था। उसे राजभवन की सहमति लिए बिना केंद्र सरकार को भेज दिया गया। राजभवन को सिर्फ इसकी औपचारिक सूचना दी गयी। अमूमन ऐसा नहीं होता है और इसमें बिल के पास होने में अड़चनें आती हैं।
