RANCHI/BOKARO : फॉर्च्यूनर, होंडा सिटी, थार, डीसी अवंती जैसी महंगी गाड़ियां, शराब–सिगरेट का शौक, हथियारों का प्रदर्शन और समाज के रसूखदार लोगों के साथ तस्वीरें – पहली नजर में यह किसी रईस, प्रभावशाली और रुतबे वाले युवक की पहचान लगती है. लेकिन इस चमक-दमक के पीछे जो सच्चाई छिपी है, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली है.
यह शानो-शौकत से लबरेज चेहरा वरुण पासवान का है, जिस पर अपने ही दोस्त की नृशंस हत्या का गंभीर आरोप है. पुलिस जांच के अनुसार, वरुण पासवान ने दोस्ती का भरोसा दिलाकर अपने ही मित्र को झांसे में लिया. पहले शराब पिलाई, फिर साजिश के तहत विनोद खोपड़ी के साथ मिलकर उसे मौत के घाट उतार दिया.

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बताया जा रहा है कि आरोपी वरुण पासवान सोशल मीडिया पर खुद को एक रसूखदार और प्रभावशाली व्यक्ति के तौर पर पेश करता था. उसकी तस्वीरें महंगी गाड़ियों, हथियारों और शराब के साथ अक्सर सामने आती रही हैं. कई तस्वीरों में वह समाज के तथाकथित प्रभावशाली लोगों के साथ खड़ा नजर आता है, जिससे उसकी पहचान और रुतबे को लेकर आम लोगों में भ्रम बना रहा.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, हत्या के पीछे की वजहों की गहन जांच की जा रही है. शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि आरोपी ने पूरी योजना के तहत वारदात को अंजाम दिया. दोस्ती का फायदा उठाकर पहले भरोसा जीता गया और फिर बेरहमी से हत्या कर दी गई.
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इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सोशल मीडिया पर दिखने वाली शानो-शौकत और रसूख की तस्वीरें कितनी भ्रामक हो सकती हैं. बाहरी चमक के पीछे छिपा अपराधी चेहरा समाज के लिए कितना खतरनाक हो सकता है, इसका यह मामला बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है.
फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है और पूरे नेटवर्क, संबंधों व घटनाक्रम की कड़ियों को जोड़ने में जुटी है. पुलिस का दावा है कि जल्द ही इस हत्याकांड से जुड़े सभी तथ्यों को सार्वजनिक किया जाएगा.

ये पोस्टर देखिये लिखा है वरुण कुमार निर्दलीय प्रत्याशी धनबाद लोकसभा और नीचे लिखा है धनबाद बोकारो के सपूत मजबूर नहीं मजबूत. पर शायद लिखने में कोई गलती हुई है क्यूंकि जिस तरिके से इस इंसान ने दोस्ती.. वफादारी.. और भरोसे जैसे शब्द का गला घोंटा है. यहां लिखा होना चाहिए था बोकारो का सपूत मौत का दूत.
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अब जरा वरुण के सोशल मीडिया प्रोफाइल को देखिए महंगी गाड़ियां.. हथियारों के साथ तस्वीर.. नशे का खुला प्रदर्शन ये सिर्फ शौक नहीं दिखाता, ये बताता है की वरुण को कानून से ऊपर होने का भ्रम था.
एक बानगी ये भी है की वरुण को लोकसभा चुनाव लड़ने का बहुत शौक था इसलिए 2019 में वो लड़ा भी खुद को नेता की तरह पेश किया. पुलिस और नेताओं के साथ उठना बैठना लग रहा और इसीलिए उसे लगा होगा कि जब सत्ता का सपना जमीन से पहले सर पर चढ़ जाए तो भला अपराध करने से उसे कौन रोक सकता है.
अब सवाल सीधा है जिसके हाथ में नशा है जिसके दिमाग में दबंगई है और जिसे लगता है कि सिस्टम उसका दोस्त है वो अपराध क्यों नहीं करेगा?
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जयंत की बर्बर हत्या एक पल का गुस्सा नहीं था बल्कि ये एक प्रोसेस था जो दोस्ती से शुरू हुआ नशे से गुजरा और हत्या पर खत्म हों गया और हम फिर से यही कहेंगे कि इस पूरे प्रोसेस में सबसे खतरनाक हथियार लाठी डंडा नहीं बल्कि वो भरोसा था जो जयंत ने वरुण पासवान के ऊपर किया.
बाकि अगली कहानी में हम आपको बताएंगे की कैसे हत्या के आरोपी विनोद खोपड़ी का महिमामंदन किया जा रहा है.. उसे बचाने की कोशिश….साजिश या कोई और कहानी चल रही है , सब बताएंगे बने रहिये.
