L19 DESK : केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड (CUJ) के वाणिज्य एवं वित्तीय अध्ययन विभाग (DCFS), प्रबंधन विज्ञान संकाय (SMS) द्वारा “विकसित भारत 2047 की ओर भारत की यात्रा: एक टिकाऊ और लचीले भविष्य के लिए सामाजिक समानता, आर्थिक विकास और वैश्विक अंतर्निर्भरता के बीच तालमेल की खोज” विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन शैक्षणिक भवन-I के सभागार में किया गया.
सम्मेलन का शुभारंभ सुबह 9:20 बजे अतिथियों और प्रतिभागियों के स्वागत के साथ हुआ. इसके बाद दीप प्रज्वलन कर ज्ञान और समृद्धि का प्रतीकात्मक शुभारंभ किया गया. डॉ. बटेश्वर सिंह, संयोजक एवं डीन, प्रबंधन विज्ञान संकाय, ने सम्मेलन का परिचय देते हुए कहा कि यह केवल जीडीपी वृद्धि का विषय नहीं है, बल्कि नवाचार को बढ़ावा देने, वैश्विक सहयोग को मजबूत करने और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को विकसित करने का अवसर भी है. उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) और विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों से 100 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए जा रहे हैं.
मुख्य अतिथि, प्रो. भीमराया मेट्री (निदेशक, IIM नागपुर) ने अपने मुख्य वक्तव्य में भारत की आर्थिक विकास यात्रा पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था हर साल $1 ट्रिलियन जोड़ेगी और 2047 तक $30-35 ट्रिलियन तक पहुंच जाएगी, जिससे भारत एक विकसित अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
उन्होंने 2025-2056 को भारत का ‘स्वर्णिम युग’ बताते हुए जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend) को भारत की सबसे बड़ी ताकत करार दिया. जापान (1965) और चीन (2000-कोविड काल) के युवा राष्ट्र बनने की तुलना में, भारत अब विश्व का सबसे युवा राष्ट्र है. उन्होंने कहा कि इससे भारत वैश्विक अनुसंधान, नवाचार और डिजिटल परिवर्तन का केंद्र बनेगा. उन्होंने डिजिटल इंडिया को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में सहायक बताते हुए भारत को UPI और डिजिटल लेन-देन में विश्व अग्रणी बताया.
प्रो. मुनीम बराई (ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, रित्सुमेकन एशिया पैसिफिक यूनिवर्सिटी, जापान) ने भारत के वैश्विक उभार पर अपने विचार प्रस्तुत किए. उन्होंने कहा कि विकसित भारत 2047 केवल आर्थिक वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत की बौद्धिक और सामाजिक शक्ति भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
विशिष्ट अतिथि, संजय कुमार वर्मा (सीएमडी, MECON LIMITED) ने राष्ट्रीय इस्पात नीति 2030 का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत 500 मिलियन टन इस्पात उत्पादन का लक्ष्य पार करेगा, जिससे इसका औद्योगिक और आर्थिक आधार और मजबूत होगा. उन्होंने कहा कि युवा भारत के सबसे बड़े उत्प्रेरक (Catalyst) हैं, और गरीबों और महिलाओं को सशक्त करने वाली सरकारी पहलें भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण होंगी.
वक्ताओं ने भारत के सामने मौजूद चुनौतियों और अवसरों पर भी चर्चा की. प्रो. मुनीम बराई ने कहा कि 21वीं सदी में चार प्रमुख घटनाओं-चीन का आर्थिक उदय, वित्तीय संकट, कोविड-19, और रूस-यूक्रेन युद्ध-ने वैश्विक परिदृश्य को बदला है. इनमें से कोविड-19 और यूक्रेन युद्ध का भारत पर विशेष प्रभाव पड़ा है, जिससे भारत को अपनी वैश्विक स्थिति पर पुनर्विचार करना पड़ा.
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की बुनियादी ढांचा रैंकिंग (47वां स्थान) चिंता का विषय है, और विकास केवल डिजिटल प्रगति तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में भी समान रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत ‘सीईओ फैक्ट्री’ बनने की दिशा में अग्रसर है, लेकिन इसे एक वैश्विक शिक्षा केंद्र भी बनाना चाहिए.
सम्मेलन में भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पक्ष पर भी चर्चा हुई. प्रो. मेट्री ने कहा कि भारत अब ‘वेस्ट इज बेस्ट’ की धारणा को छोड़कर सतत और आध्यात्मिक विकास में दुनिया का नेतृत्व करेगा. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को भारत के आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण कारक बताया और कहा कि इससे शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा.
केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड के कुलपति, प्रो. के.बी. दास ने अपने संबोधन में ‘विरासत’ (Virasat) और ‘विकास’ (Vikas) को समान रूप से आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि अमृत काल की शुरुआत सुधारों के माध्यम से होनी चाहिए, और हमें यह देखना चाहिए कि हमने किन क्षेत्रों को नीतिगत स्तर पर नजरअंदाज किया है. उन्होंने वित्तीय अनुशासन (Fiscal Prudence), प्रभावी मौद्रिक नीति (Monetary Policy) और अनुसंधान-आधारित नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया.
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार घर की जिम्मेदारी होती है, उसी प्रकार देश की भी जिम्मेदारी होती है, और इसके लिए सहयोग (Cooperation) आवश्यक है. उनका संदेश सम्मेलन में उपस्थित नीति-निर्माताओं, विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणादायक रहा.
सम्मेलन सचिव अजय प्रताप यादव ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया. अगले दो दिनों में, नीति-निर्माता, शिक्षाविद और उद्योग विशेषज्ञ ‘विकसित भारत 2047’ के रोडमैप पर गहन विचार-विमर्श करेंगे.