झारखंड के गोड्डा स्थित अडाणी पावर प्लांट के खिलाफ रैयतों का गुस्सा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. अडाणी की वादाखिलाफी से रैयत इतने नाराज हो गए हैं कि अब उन्होंने अडानी पावर प्लांट के मोतिया गेट के सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल तक शुरु कर दिया है. अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की सूचना मिलते ही पौड़ेयाहाट विधायक प्रदीप यादव धरना पर बैठे जमीन दाताओं से मिलने पहुंचे. प्रदीप यादव ने पहले रैयतों से बात की. विधायक के पहुंचते ही कंपनी के पदाधिकारी और पुलिस-प्रशासन के लोग भी धरना स्थल पर पहुंचे. प्रदीप यादव ने धरना पर बैठे लोगों की मांग को जल्द से जल्द पूरा करने की बात कंपनी के पदाधिकारियों से कही.
सबसे पहले बात इस अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की वजह पर करते हैं. लेकिन उससे पहले यह जान लेना बेहद जरूरी है कि अडाणी के खिलाफ रैयतों का ये कोई पहला विरोध प्रदर्शन नहीं है कई दफे इस तरह के विरोध प्रदर्शन पहले भी हो चुके हैं लेकिन अडाणी की अनदेखी की वजह से रैयत अभी तक निराश होकर ही वापस लौटते रहे हैं. लेकिन इस बार पौड़ेयाहाट विधायक प्रदीप यादव की सदन से लेकर सड़क की लड़ाई ने रैयतों को न्याय मिलने की उम्मीद और जगा दी है. प्रदीप यादव हमेशा से ही रैयतों के साथ खड़े रहे हैं और इस बार भी उन्होंने सत्ता में रहते हुए भी रैयतों की आवाज को सदन में उठाने का साहस दिखाया था. अब बात फिलहाल शुरू हुए अनिश्चिचकालीन भूख हड़ताल की करते हैं. दरअसल, कंपनी ने रैयतों को जमीन अधिग्रहण के बदले स्थायी नौकरी देने का वादा किया था. लेकिन अडानी कंपनी ने न केवल रैयतों के साथ वादाखिलाफी किया बल्कि उन्हें आउटसोर्सिंग कंपनी ‘इनोव’ में ठेका नौकरी दे दी और अब हाल ही में इनोव से करीब 178 रैयत कर्मचारियों को अचानक निकालकर चौथी आउटसोर्सिंग कंपनी में शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही थी. ऐसे में गुस्साए रैयतों ने इसके खिलाफ भूख हड़ताल शुरू कर दी है.
रैयतों का कहना है, “हमें बार-बार आश्वासन दिया गया कि कंपनी पूरी तरह चालू होने पर अडानी में सीधी नौकरी मिलेगी. लेकिन अब जब प्लांट शुरू हो गया, तो हमें एक और आउटसोर्सिंग कंपनी में धकेला जा रहा है. विरोध करने पर कंपनी ने इनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया, जिससे रैयतों में नाराजगी और बढ़ गई. अब सोचिए एक रैयत अपनी जमीन दे, उससे अडाणी लाखों-करोड़ों रुपए की कमाई करे लेकिन जमीन दाताओं को मिलता क्या है, FIR, पुलिस की लाठियां और 8-10 हजार रुपए की आउटसोर्सिंग कंपनियों में नौकरी.
बहरहाल, इसी मुद्दे को लेकर रैयतों ने कांग्रेस विधायक दल के नेता और पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव से गुहार लगाई. रैयतों ने कहा, “अब आप ही हमारी आखिरी उम्मीद हैं.” ऐसे में विधायक प्रदीप यादव ने उनकी मांग को जायज ठहराते हुए कहा, “आपके साथ अन्याय हुआ है, मैं इस लड़ाई में आपके साथ हूं. जिसके बाद 3 अप्रैल की दोपहर प्रदीप यादव धरनास्थल पर पहुंचे और अडानी के खिलाफ जमकर गरजे. उन्होंने चुनौती भरे लहजे में कहा, “अगर अडानी ने यह जुल्म बंद नहीं किया, तो एक और आंदोलन के लिए तैयार हो जाए. मेरे एक आवाज पर 50 हजार लोग सड़कों पर होंगे. न कोई अंदर जाएगा, न बाहर आएगा, कोयले का एक टुकड़ा भी प्लांट में नहीं जाने देंगे. प्रदीप यादव के तीखे तेवर को देखने के बाद कंपनी की ओर से बातचीत की पेशकश की गई. कंपनी के प्रतिनिधियों से प्रदीप यादव ने साफ कहा कि ये रैयतों के हक की बात है, जमीन लेते वक्त जो वादा किया गया था उसे कंपनी पूरा करे और रैयतों पर दर्ज मुकदमा वापस हो. मसलन रैयतों की भूख हड़ताल और विधायक प्रदीप यादव की चेतावनी से अडानी बैकफुट में आती नजर आ रही है. खैर, अब देखने वाली बात होगी कि वार्ता के बाद क्या फलाफल निकलता है.