L19 DESK : झारखंड में आठवीं क्लास के 49 प्रतिशत बच्चे गणित यानी मैथ्स में भाग नहीं दे पा रहे हैं. इसके अलावा 30 प्रतिशत ऐसे बच्चे हैं जो दूसरी कक्षा की भी किताब नहीं पढ़ पा रहे हैं. अब आप सोचिए ऐसे में हम भले जितना भी नारा दे दें कि पढ़ेगा झारखंड तो बढ़ेगा झारखंड, लेकिन सच्चाई यही है कि अगर ऐसे पढ़ेगा तो कैसे और कब बढ़ेगा झारखंड? खैर, झारखंड के आठवीं क्लास के बच्चों से दूसरी क्लास का भाग क्यों नहीं बन रहा है इसका जवाब या तो छात्र खुद दे सकते हैं या उनके टीचर्स. लेकिन हां, ऐसा नहीं है कि झारखंड के छात्र सभी चीजों में पीछे हैं. भले ही छात्र किताब नहीं पढ़ पा रहे हैं, भाग नहीं दे पा रहे हैं लेकिन स्मार्टफोन का उपयोग करने में छात्र पीछे थोड़ी हैं, 76 प्रतिशत बच्चे समार्टफोन का उपयेग करना जानते हैं, जिनकी उम्र महज 14 से 16 साल है. लेकिन उनमें से 70 प्रतिशत बच्चे फोन का इस्तेमाल सोशल मीडिया के लिए कर रहे हैं. इसके अलावा 40 प्रतिशत बच्चों और 30 प्रतिशत बच्चियों के पास स्मार्टफोन भी है.
दरअसल, एनुवल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. असर की रिपोर्ट को प्रथम संस्था ने जारी किया, जिसमें यह खुलासा किया गया कि झारखंड में आठवीं क्लास के 49 प्रतिशत बच्चे गणित में भाग नहीं दे पा रहे हैं. इसके अलावा 30 प्रतिशत ऐसे बच्चे हैं जो दूसरी कक्षा का भी किताब नहीं पढ़ पा रहे हैं. हालांकि, इतनी खराब स्थिति के बावजूद आपको यह जानकर थोड़ी खुशी और हैरानी भी होगी कि साल 2022 की तुलना में 2024 में सुधार हुआ है. यानी साल 2022 के दौरान झारखंड में छात्रों की स्थिति इससे भी खराब थी.
असर ने राज्य में पहली से आठवीं तक के बच्चों के बीच सर्वे किया. जिसमें यह सामने आया कि आठवीं के 50.9 प्रतिशत बच्चें ही भाग दे पाते हैं. वे संख्या पहचान यानी छात्र विभिन्न संख्याओं को उनके नाम से, उनके दिखने के तरीके से पहचान लेते हैं. इसके अलावा घटाव यानी Subtraction भी कर सकते हैं.
बहरहाल, सातवीं के 55.5 प्रतिशत, छठी के 65 प्रतिशत, पांचवीं के 69 प्रतिशत और चौथी के 79 प्रतिशत बच्चे गणित में भाग नहीं दे पाते हैं. इसके अलावा पाठ अध्ययन में भी छात्रों की यही स्थिति है. पाठ अध्ययन मतलब किसी किताब को सही से पढ़ना. इसमें आठवीं के 69.5 प्रतिशत बच्चे दूसरी कक्षा का ही किताब पढ़ पा रहे हैं. जबकि सातवीं के 37.2 प्रतिशत, छठी के 48 प्रतिशत, पांचवीं के 55 प्रतिशत , चौथी के 68 प्रतिशत और तीसरी के 80 प्रतिशत बच्चे दूसरी कक्षा का किताब नहीं पढ़ पा रहे हैं. झारखंड के बच्चों का पढ़ाई में हाल तो आपके सामने आ ही गया है. लेकिन अब हम आपको सरकारी स्कूल से जुड़ी एक और बूरी खबर सुनाते हैं. दरअसल, झारखंड के सरकारी स्कूलों में नामाकंन भी घट गया है. साल 2022 की बात करें तो, उस समय राज्य के सरकारी स्कूलों में 83.3 प्रतिशत नामांकन हुआ था, साल 2024 में यह घटकर 77.4 प्रतिशत तक पहुंच गया. महज एक साल में सरकारी स्कूलों में नामांकन 6 फीसदी तक कम हुई है.
वहीं, विश्व के साथ-साथ भारत में भी शिक्षा की क्रांति के लिए सरकारों के द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसमें आधुनिक उपकरणणों का इस्तेमाल, शिक्षा में बहुत तेजी से बढ़ रहा है. जैसे- Smart Classes, Online Classes और कई तरह के प्रयोग लगातार हो रहे हैं. लेकिन इसका असर झारखंड के बच्चों में कैसा है, वो देखिए. झारखंड के 14 से 16 साल के सभी बच्चों में से 76.8 प्रतिशत बच्चे स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करना जानते हैं. लेकिन 70 प्रतिशत बच्चों ने उस दौरान स्मार्टफोन का इस्तेमाल सोशल मीडिया के लिए किया.
खैर, शिक्षा में आधुनिकता जरूरी है लेकिन छोटे-छोटे बच्चे उस स्मार्टफोन का कैसे और किस चीज के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. यह भी सोचने और समझने की जरूरत है.
अब आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं कि आखिर झारखंड की शिक्षा व्यवस्था में ऐसी क्या कमी है कि आठवीं के बच्चें भाग और 2 क्लास के किताब तक सही से नहीं पढ़ पा रहे हैं. वहीं, सरकार को भी इस पर पहल कर यह जानने की कोशिश करनी चाहिए की कमी कहा है और कैसे बच्चों के शिक्षा में और सुधार किया जाए. यह सर्वे 27 हजार 6 सौ 49 बच्चों में किया गया था. जो 24 जिलों के 720 गांवों से थे.