Ranjan jha
Dhanbad : धनबाद का बड़ा-बड़ा गुंडा, माफिया भाजपा में हैं. कोयला चोर है. राज सिन्हा जैसा निकृष्ट विधायक हैं. सर्व अवगुण संपन्न सांसद ढुल्लू महतो है. कभी इसको अच्छी भाषा में बात करते नहीं देखा. अब किसी को कोई डर नहीं. गृहमंत्री अमित शाह ढुल्लू के पीछे मजबूती से खड़े है.
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भाजपा विधायक दल के नेता बाबू लाल मरांडी के साथ कोयला चोर लाल बाबू सिंह का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल है. उनका इस संबंध में कोई स्पष्टीकरण मैंने नहीं देखा. लाल बाबू एंड कंपनी ने सीबीआई के अफसरों को खदेड़ -खदेड़ कर मारा. कोई इस गुंडे का बाल बांका नहीं कर सका. इसकी भाजपा में गहरी पैठ है. मैं समझता था मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले आदमी हैं. मामा। कैसा मामा? वह तो लाल बाबू सिंह के कान में सार्वजनिक मंच पर फुसफुसाते देखें गये. इस निर्लज्जता से अच्छा तो जेएमएम वाले हैं जो बड़े -बड़े आदर्शों की बात नहीं करते। चोरी – चकारी पर झूठा प्रवचन नहीं देते. यह स्थापित हो चुका है कि भाजपा चोरकटों, वसूलीबाजों का झारखंड में एक सुनियोजित गिरोह है। जनसेवा का आडंबर है, दिखावा है.
जब आम आदमी परेशान होता है तो पता चलता है मोदी है तो मुमकिन है का अर्थ क्या है? बकवास है जनता के जले पर नमक छिड़कने जैसा है.
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हीरापुर की बैंक आफ इंडिया शाखा को बचाने के लिए एसपी रणधीर वर्मा के साथ एक नागरिक भी शहीद हुए पर वहां तो कोई आदमी दिखता ही नहीं. सभी चिरकुट मिलते हैं. एक चिरकुट है वहां का बड़ा मैनेजर. वह आज गायब मिला. दूसरा, चिरकुट मिला उससे छोटा मैनेजर. बैंक को तथाकथित हेल्प लाइन नंबर के माध्यम से पांच दिन पहले मेल भेजा था. जिसमें एक सत्तर+ चलने -फिरने से लाचार पेंशनर की व्यथा बताई थी. पेंशनर की कमर की हड्डी टूटी हुई है. मुश्किल से बाथरूम जा पाती है. उस मेल का बैंक ने कोई जवाब नहीं दिया. क्यों दे. कौन क्या बिगाड़ा लेगा. इसी गुमान में वह बोल जाता है, सब आपके ही पक्ष में होगा. तो ?
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बैंक तो ग्राहकों को उत्तम सेवा देने का दावा करता है. सब ग्राहक के पक्ष में नहीं होगा तो क्या आपके कमीशन खाने के अनुकूल होगा. वह सलाह देता है, क्यों नहीं आधार से पैसा निकलवाते हैं. यानी कमीशन का धंधा। शर्म भी नहीं आई चिरकुट को. बाद में बताया, बैंक से आदमी को बुला कर लें जाइएगा तो वह भी ठेपा लेकर पैसा दे देगा. मगर, इनसे पूछे लीजिएगा कि पैसा देगा कि नहीं. अजब, यह कौन कानून हैं, नियम है? छोटे चिरकुट साहब ही थे सबकी सुनने वाले. बैंक में महज दस-पंद्रह लोग थे. सब छोटे चिरकुट साहब के पास जाते. उनको चिरकुट कुछ भी बोल कर टहलाता. लोग पूछते बड़े वाले कहां हैं तो एक बार बोला मीटिंग में हैं. फ़िर बड़बड़ाया, आनलाइन मीटिंग है. मतलब बड़े वाले कक्ष छोड़ कर फांकीबाजी कर रहे हैं। यह तो हाल है बड़े वाले का. छोटे वाले,एक ग्राहक को कह रहे हैं कि आपका कंबाइंड बिल्डिंग शाखा से आधार लिंक है. मामला सुकन्या योजना का है. उनके झूठ की पोल बगल में बैठी मैम खोल लेती है. बताती है कि ऐसा कुछ भी नहीं है. मतलब कि यह बैंक जैसे तैसे चल रहा है. इसका कोई माई-बाप नहीं है.
मोदी है तो मुमकिन है.
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
