L19/Ranchi : अगर साल 2013 से लेकर 2016 के बीच आपने रांची नगर निगम से जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया है, तो आप उसको कूड़ेदान में डाल सकते हैं। क्योंकि रांची नगर निगम के पास इन 3 सालों का डेटा है ही नहीं। यही नहीं, अगर आप इनकी डुप्लीकेट कॉपी या फिर इनमें सुधार कराना चाहते हैं, तो भी वो महज एक कागज का टुकड़ा भर ही है। तो मुबारक हो, अब आपको फिर से दौड़ भाग करके इतनी मशक्कत करके जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना पड़ेगा। ऐसे ही सरकारी काम काज में समय कम थोड़ी लगता है।
इसमें एक रोचक बात ये है कि इन तीन सालों के दौरान जन्म प्रमाण पत्र बनवाने वालों को नये व्यवस्था से गुजरना पड़ेगा जिसके बारे में हमने आपको अपने पिछले वीडियो में भी बताया था। इस नयी व्यवस्था के तहत आपको अपने दो पड़ोसियों को गवाह के तौर पर मेजिस्ट्रेट के सामने पेश करना पड़ेगा। इस दौरान इन गवाहों का आईडी कार्ड और लिखित प्रमाण कि वे आवेदक को निजी रुप से जानते हैं और बच्चों का जन्म कब और कहां हुआ है, ये उससे परिचित हैं। ऐसा नहीं करने पर जन्म प्रमाण पत्र बनेगा ही नहीं। हालांकि, लोगों की दिक्कतों को देखते हुए रांची डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने कहा है कि व्यवस्था को एक बार पूरी तरह समझने के बाद इसे सुगम बनाने की कोशिश की जायेगी।
अब सवाल ये है कि आखिर 2013 से लेकर 2016 तक का डेटा निगम से गायब कैसे हुआ? दरअसल, साल 2013 में रांची नगर निगम में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का काम प्रज्ञा केंद्र को दिया गया। उस समय प्रज्ञा केंद्र को जैप आइटी चला रही थी। यह सिलसिला साल 2016 तक चला जब प्रमाण पत्रों को बनाने का काम प्रज्ञा केंद्र कर रही थी। मगर साल 2017 से यह काम केंद्र सरकार के सीआरएस पोर्टल से शुरु हुआ। यहीं पर नगर निगम ने एक बड़ी गलती कर दी जिसका खामियाजा अब आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। नगर निगम ने जैप आइटी से इन 3 सालों के दौरान जारी प्रमाण पत्रों का डेटा नये पोर्टल पर अपलोड नहीं किया।
अब आपको आंकड़ों की तरफ लेकर चलते हैं। आंकड़े बताते हैं कि एक दिन में जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिये रांची नगर निगम में करीब 100 आवेदन आते हैं। और इसी आंकड़े को महीने में तब्दील कर दिया जाये तो एक महीने में करीब 3000 आवेदन और एक साल में करीब 36500 आवेदन रांची नगर निगम में आते हैं। वहीं, 3 सालों के दौरान आवेदनों की संख्या 1.09 लाख के आसपास होगी। यानी अब 1.09 लाख लोगों को फिर से सरकारी कार्यालय जाकर दौड़ धूप करके फिर से प्रमाण पत्र बनवाना होगा। उधर, नगर निगम ने जैप आइटी से 4 बार तक 3 सालों के दौरान जारी किये गये प्रमाण पत्रों का डेटा मांगा। मगर जैप आइटी ने न तो निगम को डेटा उपलब्ध कराया, और न ही निगम के पत्रों का कोई जवाब दिया। इसे लेकर निगम के रेजिस्ट्रार ने कहा कि रिकॉर्ड नहीं रहने के वजह से निगम को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में डाटा निगम को उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है। यानी कि ले देकर आवेदकों को ही अपना समय देकर वापस से जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना होगा।