L19/DESK : आज छठ पूजा घाट पर की जाएगी। आज व्रती घाट पर आती हैं छठ माता की पूजा करने के साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य देने का विधान है। एक लोटे में जल लेकर उसमें कुछ बूंदें कच्चा दूध मिलाएं, इसी पात्र में लालचन्दन, चावल, लालफूल और कुश डालकर प्रसन्न मन से सूर्य की ओर मुख करके कलश को छाती के बीचों-बीच लाकर सूर्य मंत्र का जप करते हुए जल की धारा धीरे-धीरे प्रवाहित कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पुष्पांजलि अर्पित की जाती है।
सूर्य देव को जल अर्पित करते समय कुछ चीजों को मिलाना जरूरी होता है, जिसमें अक्षत, रोली, फूल, गंगाजल आदि शामिल है। सूर्य देव को जल अर्पित करते समय ‘ऊं आदित्य नम:’ मंत्र का जाप करते रहना पड़ता है। सूर्य देव को जल चढ़ाने के बाद जो जल जमीन पर गिरता है उसे अपने माथे पर लगाया जाता है। आज घर घर में छठ पूजा का प्रसाद तैयार किया जाता है, छठ पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। छठ पूजा के समय प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले सभी चीजों की अच्छे से सफाई की जाती है, इन
अनाजों को घर पर ही धोकर, कूटकर और पीसकर बनाया जाता है। छठ पूजा के लिए गन्ना, पानी वाला नारियल, अक्षत, पीला सिंदूर, दीपक, घी, बाती, कुमकुम, चंदन, धूपबत्ती, कपूर दीपक, अगरबत्ती, माचिस, फूल, हरे पान के पत्ते, साबुत सुपाड़ी, शहद के अलावा, हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा वाला मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती, शकरकंदी, सुथनी, मिठाई, गुड़, गेंहू, चावल का आटा और घी छठी मईया की पूजा के लिए जरूरी माना गया है। छठ पूजा करने से षष्ठी देवी संतान की प्राप्ति, संतान की दीर्घायु, संतान की कुशलता प्राप्त होती है। हिन्दु समाज में जब बच्चा जन्म लेता है और बच्चे के जन्म के छठे दिन मनाई जाने वाली छठी पर भी षष्ठी देवी की ही पूजा की जाती है।