L19 DESK : अवैध बालू खनन और उठाव पर झारखंड हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है । हाईकोर्ट ने कहा, सरकार यह सुनिश्चित करे कि राज्य में कहीं पर भी बालू का अवैध खनन या उठाव नहीं हो । अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे । आदेश का पालन नहीं होने पर इसे आपराधिक अवमानना का मामला माना जाएगा । चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है । अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को तय की है । इस संबंध में फेडरेशन ऑफ झारखंड सैंड ट्रेडर्स एसोसिएशन की ओर से याचिका दाखिल की गई है । कोर्ट के आदेश के बाद भी जेएसएमडीसी का बालू इकाई मस्त है. अधिकारियों को कोर्टके फैसले का कोई मलाल भी नहीं है।
राज्य भर के 19 जिलों में बालू घाटों के लिए झारखंड राज्य खनिज विकास निगम की ओर से निकाली गयी निविदा अब तक फाइनल नहीं की गयी है। जेएसएमडीसी के अधिकारियों का तर्क है कि माइन डेवलपमेंट आपरेटर सरकार के तय रेट से कम निविदा डाल रहे हैं।
इसलिए सभी संबंधित जिलों के जिला खनन पदाधिकारियों को बालू उठाव और उसकी ढुलाई की जवाबदेही दी गयी है। बावजूद इसके धड़ल्ले से जारी है अवैध बालू खनन का कारोबार। सरकार की तरफ से पुराने बालू माफिया को ही ढुलाई और खनन की अनौपचारिक तरीके से जिम्मेवारी दे दी गयी है, जो डीएमओ की देखरेख में हो रहा है। लोकतंत्र 19 ने बालू के अवैध खनन को लेकर दो दिन पहले ही विस्तृत रिपोर्ट लिखी थी।
इसमें बताया गया था कि अवैध बालू उतखनन और ढुलाई में सभी जिलों के जिला खनन पदाधिकारियों को एक तय टार्गेट के अनुसार से जेएसएमडीसी के बाबुओं का पेट भरने की जिम्मेवारी दी गयी है। यह जिम्मेवारी जिला के बालू घाटों और अवैध उठाव के तहत तय की गयी है। सूत्रों के अनुसार बालू के खेल में प्रत्येक जिले को न्यूनतम 20 लाख का वसूली का जिम्मा थमाया गया है। इसमें पूर्व में सक्रिय बालू माफिया आसानी से ट्रैक्टरों, हाईवा के जरिये बालू निकाल रहे हैं. खुले बाजार में ऊंचे दरों पर बालू बेची जा रही है । जेएसएमडीसी के अधिकारी कहते हैं कि महीने का चार करोड़ का राजस्व भी नहीं मिल रहा है। जेएसएमडीसी की यह सारी कारस्तानियों पर जांच एजेंसियों की नजर है । वैसे भी इडी ने रांची, खूंटी, जमशेदपुर, पाकुड़, साहेबगंज, रामगढ़, पलामू, दुमका से अधिक जिलों के जिला खनन पदाधिकारियों से कई दौर की बातचीत भी की है। अभी जांच जारी है। पर बेखौफ जेएसएमडीसी के अधिकारी और कर्मियों पर इडी की जांच का कोई असर नहीं है । बालू खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 15 अक्टूबर 2022 को हटा ली गयी थी।
इसके बाद भी बालू का खेल जारी है। सिर्फ राजधानी ही नहीं राज्य के 19 जिलों के बालूघाटों में झारखंड राज्य खनिज विकास निगम की तरफ से संचालन किया जा रहा है। रांची जिले के 32 बालू घाटों में से न तो किसी का टेंडर हुआ और न ही किसी घाट पर एमडीओ को लाइसेंस दिया गया है । जानकारी के अनुसार राजधानी के सफी नदी के होयर घाट पर रोजाना सैकड़ों ट्रैक्टर से बालू की खेप भेजी जा रही है, बालू के उत्खनन को लेकर जेसीबी लगाया गया है। सिर्फ इसी घाट से रोजाना 300 ट्रैक्टरों से बालू ढोया जा रहा है। बुढ़मू के छापर घाट से इसी तरह बेरोक-टोक 400 ट्रैक्टर बालू निकाला जा रहा है। सिर्फ रांची में ही सिल्ली, सुवर्णरेखा, बुंडू और तमाड़ के कांची नदी तथा अन्य घाटों से रोजाना करीब दो हजार ट्रैक्टर अवैध बालू का निकाला जा रहा है । इनमें दशम के कांची नदी से पांच सौ से अधिक , सोनाहातू से तीन सौ और सिल्ली से करीब दो सौ ट्रैक्टर बालू रोज निकाला जा रहा है। आंकड़ों पर गौर करें तो रोजाना दो लाख सीएफटी से अधिक बालू का खनन कर कारोबारी कर रहे हैं और उसे शहरों में खपाया जा रहा है । अवैध कारोबार की वजह से 18 हजार रुपये का एक हाइवा बालू शहर में करीब 26 हजार रुपए में मिल रहा है।