L19. झारखंड के हाईकोर्ट ने जेपीएससी में संविदा पर नियुक्त कर्मी की सेवा को 45 दिनों के अंदर नियमित करने का निर्देश दिया है। वर्ष 2014 से इनकी सेवा को नियमित मानते हुए इन्हें सारी सुविधा देने का निर्देश भी दिया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुखविलास उरांव की अपील पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया । बेंच ने वर्ष 2022 में प्रार्थी की याचिका को एकल पीठ द्वारा खारिज किए जाने और जेपीएससी द्वारा उसे वर्ष 2010 में हटाए जाने के आदेश को असंवैधानिक ठहराया हैं। बेंच ने प्रार्थी की याचिका को निष्पादित कर दिया।
जाने पूरा मामला
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सृष्टि सिन्हा एवं अधिवक्ता शशांक शेखर झा ने पैरवी की हैं, दरअसल, सुखविलास उरांव की नियुक्ति संविदा पर वर्ष 2004 में जेपीएससी में दफ्तरी के पद पर हुई थी। पर वर्ष 2010 में उन्हें हटा दिया गया और फिर से उसकी नियुक्ति संविदा पर की गई। सुखविलास ने वर्ष 2010 में नौकरी से हटाए जाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने वर्ष 2022 में प्रार्थी की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि सुख विलास संविदा पर कार्यरत हैं और उसे हटाना या ना हटाना जेपीएससी पर निर्भर करता है।
बेंच ने प्रार्थी को राहत नहीं देते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद प्रार्थी की ओर से हाई कोर्ट की बेंच में अपील दाखिल की गई थी जिस पर सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई । कोर्ट ने स्टेट ऑफ कर्नाटक वर्सेस उमा देवी के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में प्रार्थी की नियुक्ति नियमित करने का आदेश दिया हैं तथा वर्ष 2014 से उसे नियमित नियुक्ति की सारी सुविधाएं देने का निर्देश भी दिया हैं।