L19 DESK : क्या मंईयां सम्मान योजना बंद हो जायेगी? ये सवाल हमने कल आपके सामने रखा था. लेकिन अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसका जवाब दे दिया है. महिलाओं के लिए शुरु हुई स्कीम मंईयां योजना बंद नहीं होगी. मंईयां योजना की राशि लाभुकों को हैंडओवर के लिए जो भी करना होगा, सरकार करेगी, और इससे जनता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. हालांकि, इसके बावजूद कई विभागों का बजट इस बार घट सकता है. अब बीते कल मंईयां योजना को लेकर सीएम हेमंत सोरेन ने और क्या क्या कहा और किन विभागों का बजट घटने की संभावना है, इस पर विस्तार से बात करते हैं.
दरअसल, जैसा कि बीते कल हमने आपको बताया था कि हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए मंईयां सम्मान योजना सहित उन सारे कल्याणकारी योजनाओं का ब्योरा मांग दिया, जिसके तहत लाभुकों को डीबीटी के माध्यम से राशि ट्रांसफर की जाती है. इससे पहले सुनवाई के दौरान प्रार्थी ने अदालत में मंईयां योजना पर सवाल खड़े किये गये थे, कहा था कि सरकार के पास पीड़िता के अधिकार के पैसे देने के लिए राशि नहीं है, लेकिन वहीं चुनावी वादा पूरा करने के लिए लोगों को मुफ्त में राशि दी जा रही है. जिसके बाद हाई कोर्ट ने भी सरकार के इस रवैये पर कड़ी नाराज़गी जताई थी, साथ ही साथ मंईयां योजना पर हुए खर्च का ब्योरा मांग दिया था.
दूसरी ओर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कल प्रोजेक्ट भवन में आगामी बजट सत्र को लेकर होने वाली बैठक के दौरान मंईयां योजना को लेकर जो संशय की स्थिति उत्पन्न हो रही थी, उसे दूर कर दिया. हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार मंईयां सम्मान योजना के लिए जनता पर किसी तरह का अतिरिक्त बोझ लादने नहीं जा रही है. झारखंड सरकार अपने आंतरिक संसाधनों के स्रोत से ही योजना के लिए आवश्यक राशि की व्यवस्था करेगी. सीएम हेमंत सोरेन ने इस दौरान मंईयां योजना पर सवाल उठाने वालों और अलग-अलग प्रतिक्रिया देने वाले लोगों को आश्वस्त और बिल्कुल निर्भिक रहने की सलाह दे डाली.
इस दौरान मुख्यमंत्री ने योजना के मामले में भारत सरकार और राज्य सरकार की तुलनात्मक विश्लेषण भी प्रस्तुत कर दिया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार देश की आधी आबादी के लिए 25-26 हजार करोड़ रुपये के बजट का ही प्रावधान करती है, जबकि झारखंड सरकार 15-16 हजार करोड़ रूपये महिलाओं को सुपुर्द करती है. इसके साथ ही उन्होंने मंईयां योजना की उपलब्धियां भी गिनायीं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि मंईयां योजना से पूरे देश में राज्य की अलग पहचान बनी है. एक राज्य का अपने बजट की इतनी बड़ी राशि से आधी आबादी के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए प्रयत्नशील होना छोटी बात नहीं है.
कुल मिलाकर हेमंत सोरेन ने राज्यवासियों और योजना की लाभुकों को आश्वस्त करने की कोशिश की, कि उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है, सरकार अपने संसाधनों से मंईयां योजना के लिए पैसे जुटायेगी. हालांकि, इन सब के बावजूद कल आयोजित हुई बैठक के दौरान कुछ और संकेत भी मिले हैं. आगामी वित्तीय वर्ष में कई विभागों के बजट में कटौती की जा सकती है. सरकार रोड, भवन और दूसरे बुनियादी निर्माण के लिये बजट में कमी ला सकती है. माना जा रहा है कि सरकार इन विभागों के बजट में कटौती करके अब उन कल्याणकारी योजनाओं पर फोकस करेगी, जिसके तहत लाभुकों को सीधे डीबीटी के माध्यम से पैसे ट्रांसफर होते हैं. इन योजनाओं को और सुदृढ़ और कारगर बनाया जायेगा, साथ ही बड़ी राशि का प्रबंध किए जाने का भी अनुमान है.
खैर, अब आने वाले दिनों में जब हाई कोर्ट की अगली सुनवाई होगी, तब देखना होगा कि सरकार की ओर से मंईयां योजना समेत बाकि कल्याणकारी योजनाओं के ऊपर कितना खर्च किया जा रहा है, और किन विभागों के बजट में कटौती की जा रही है.